जयपुर बम बलास्ट मामले में शुक्रवार को विशेष अदालत में सुनवाई हुई। सिलसिलेवार बम धमाकों के बीच कोतवाली इलाके में मिले जिंदा बम मामले के आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी ने विशेष कोर्ट में अर्जी दायर कर जमानत मांगी थी। कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
आरोपी की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि इस केस में उस पर केवल आपराधिक षडयंत्र का ही आरोप है। जबकि हाईकोर्ट ने जयपुर बम ब्लास्ट से जुड़े अन्य मामलों में प्रार्थी को बरी करते हुए आपराधिक षड्यंत्र नहीं माना है। इस मामले में भी समान चार्जशीट, गवाह व तथ्य हैं। प्रार्थी 14 साल से जेल में बंद है और अभियोजन के 156 गवाहों में से अभी केवल 35 गवाहों के बयान ही दर्ज हुए हैं। उनके खिलाफ अन्य कोई केस लंबित नहीं है। केस की ट्रायल में समय लगेगा। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। जमानत अर्जी का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह मामला विस्तृत आपराधिक षडयंत्र से जुडा हुआ गंभीर मामला है। इस केस के अलावा एनआईए ने वर्ष 2016 में दर्ज एक अन्य मामले मंल दो आरोपियों यासीन भटकल व असदुल्लाह अख्तर के सीआरपीसी की धारा 164 के बयान दर्ज कराए थे। दोनों आरोपियों ने अपने बयानों में माना है कि मोहम्मद सरवर आजमी ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर जयपुर में बम ब्लास्ट किए थे। यह बम भी फट सकता था, लेकिन तय समय से पहले इसे बरामद कर लिया गया। इसके अलावा प्रकरण की ट्रायल जारी है. यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह फरार हो सकता है। इसलिए उसे जमानत नहीं दी जाए। इस आधार पर कोर्ट ने इस पूरे मामले को ध्यान में रखते हुए आरोपी सरवर आजमी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
बता दे कि पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सरवर आजमी सहित अन्य की फांसी की सजा को रद्द करते हुए उन्हें रिहा करने के आदेश दिए थे। लेकिन जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं।
