वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वित्तीय प्रभाव डालने वालों (फाइनेंशियल इफ्लुएंसर्स) के बारे में जनता को आगाह किया। बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जहां कुछ असली विशेषज्ञ हैं, जो निवेश और बचत पर ठोस सलाह देते हैं, वहीं कई ऐसे भी हैं जो लोगों को गुमराह करते हैं या उन्हें उच्च रिटर्न का वादा करने वाले संदिग्ध ऐप में फंसाते हैं, लेकिन वास्तव में ये पोंजी स्कीम हैं।
वित्त मंत्री ने कहा, मेरे पास इस स्तर पर उन्हें विनियमित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा, ऐसे ऐप भी आ रहे हैं जो कह रहे हैं कि आपका पैसा आपको इतना मिलेगा। उनमें से कई पोंजी हैं और हमें दोबारा जांच करनी चाहिए। हमें सावधान रहना होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ काम कर रही है, ताकि ऐसे ऐप्स पर शिकंजा कसा जा सके और नागरिकों की गाढ़ी कमाई को सुरक्षित रखा जा सके। सोशल मीडिया पर वित्तीय प्रभावितों के उदय को देखते हुए, भारत के तेजी से बढ़ते शेयर बाजार में विनियमन और उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता पर बहस के बीच वित मंत्री की ये टिप्पणियां आई हैं।
भारत ने कोरोना महामारी की शुरुआत से ही शेयर बाजार में खुदरा भागीदारी में वृद्धि देखी है, क्योंकि कम ब्याज दरों और लॉकडाउन ने लोगों को आय के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया। लेकिन इनमें से कई निवेशकों के पास वित्तीय साक्षरता और इस क्षेत्र में अनुभव की कमी है, जिससे वे हेरफेर और गलत सूचना के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
पेड स्टॉक टिप्स देने के लिए हाल के महीनों में कई टेलीग्राम चैनल और यूट्यूब खाते जांच के दायरे में आए हैं। उनमें से कुछ पंप-एंड-डंप योजनाओं में भी शामिल थे, जहां वे कुछ शेयरों की कीमतों को कृत्रिम तौरपर बढ़ाते हैं और फिर उन्हें लाभ पर बेचते हैं, जिससे उनके अनुयायियों को नुकसान होता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, देश का पूंजी बाजार नियामक, इसे रोकने और निवेशकों को जोखिमों के बारे में शिक्षित करने की कोशिश कर रहा है।
