बाल टीकाकरण पर भरोसा, दुनियाभर में घटा-भारत में बढा

कोविड-19 महामारी होने के दौरान बाल टीकाकरण के प्रति लोगों के विश्वास में बड़े पैमाने पर आई गिरावट के बीच भारत में टीकों के प्रति भरोसे में वृद्वि देखी गई है। यूनिसेफ की फ्लैगशिप सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत उन तीन देशों में से एक है, जहां बाल टीकाकरण के प्रति भरोसा बढ़ा है। यह सर्वे कुल 55 देशों में किया गया था।

यूनिसेफ इंडिया ने एजेंसी की ग्लोबल फ्लैगशिप रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2023: फॉर एवरी चाइल्ड वैक्सीनेशन’ जारी की है। इसमें बाल टीकाकरण की अहमियत को रेखांकित किया गया है। यह रिपोर्ट द वैक्सीन कॉन्फीडेंस प्रोजेक्ट द्वारा संग्रहित डेटा पर आधारित है और इसे लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रापिकल मेडिसिन एवं यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि बाल टीकाकरण के महत्व की लोकप्रिय धारणा केवल चीन, भारत और मैक्सिको में मजबूत बनी रही या इसमें सुधार हुआ।

जिन देशों में अध्ययन किया गया उनमें से एक तिहाई देशों में महामारी की शुरुआत के बाद वैक्सीनेशन के प्रति विश्वास में आई गिरावट के बारे में बताया गया है। रिपब्लिक ऑफ कोरिया, पापुआ न्यू गिनी, घाना, सेनेगल और जापान आदि इसी तरह के देशों में शामिल है। रिपोर्ट में भ्रामक जानकारी और टीके के असर को लेकर विश्वास में कमी जैसी वजहों के कारण वैक्सीनेशन के प्रति संदेह के कारण बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया गया है।

वैक्सीनेशन के प्रति दुनियाभर में लोगों के भरोसे में गिरावट आई है। बीते 30 सालों में बाल टीकाकरण के प्रति निरंतर उदासीनता देखने को मिल रही है। कोविड-19 महामारी ने इस स्थिति को और खराब किया है। महामारी के दौरान लगभग हर जगह बच्चों का टीकाकरण प्रभावित हुआ। यह स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की अत्याधिक मांग, वैक्सीनेशन के संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल कोविड-19 टीकाकरण के लिए करने, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी और लॉकडाउन व ‘स्टे ऐट होम’ जैसै कदमों के कारण बनी।

यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मेककेफरी ने कहा, द स्टेट ऑफ द वर्ल्डस् चिल्ड्रन रिपोर्ट भारत को विश्व के उन देशों में से एक देश के रूप में पेश करती है, जहां टीके के प्रति सबसे अधिक विश्वास है। यह भारत सरकार की राजनीतिक व सामाजिक प्रतिबद्वता की पहचान है और यह दर्शाता है कि महामारी के दौरान सबसे बड़ी वैक्सीन ड्राइव भरोसा बनाने और प्रत्येक बच्चे को टीका लगाने के लिए नियमित टीकाकरण के लिए व्यवस्था को सुदृढ़ करने में सफल हुई है।

भारत  में जीरो डोज वाले (जिन तक पहुंचा नहीं गया या जो छूट गए) बच्चों की संख्या बढ़कर 30 लाख होने के बावजूद 2020-2021 के बीच महामारी के दौरान टीकाकरण में सुधार किया गया और यह संख्या कम करते हुए 27 लाख तक ले आई गई। यह उपलब्धि भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए निरंतर, साक्ष्य आधारित कैप अभियान से हासिल हुई है। देश में अंतिम छोर के बच्चे तक पहुंचने के प्रयास जारी हैं।

एनएचएम, मध्य प्रदेश के टीकाकरण डायरेक्टर डॉ संतोष शुक्ला का कहना है कि पिछले और इस वर्ष हमने अपने नियमित टीकाकरण के अलावा तीन विशेष अभियान चलाए हैं। इसमें बच्चों के पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। उनका प्रतिशत 88 से बढ़कर 94 हो गया है। साथ ही राज्य के प्रयासों और उनके भागीदारों जैसे यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ, यूएनडीपी और अन्य विकास भागीदारों के कारण प्रदेशभर में टीकाकरण पर विश्वास के स्तर में बढ़ोतरी देखी गई है। 

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.