सिंडीकेट बैंक लोन घोटाले में राजस्थान के जाने-माने आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने भी रद्द कर दी है। इससे बरतरिया समेत इस घोटाले से जुड़े तमाम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने बरतरिया की दो याचिकाएं सारहीन मानते हुए 50,000 रुपए कॉस्ट के साथ खारिज कर दी थीं।
हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ बरतरिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो बरतरिया को यह कहते हुए राहत दी कि ईडी उनके खिलाफ कोई कोरसिव एक्शन नहीं ले। पर अब सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में चाही राहत के लिए जरूरी प्रासंगिक दस्तावेज नहीं लगाने और अपनी भूल सुधारने की प्रार्थना को गंभीर प्रवृत्ति का मानते हुए कोर्ट ने याचिका रद्द कर दी। साथ ही अधीनस्थ न्यायालय को आदेश दिए हैं कि वह बिना किसी दबाव अथवा प्रलोभन में आए अपनी कार्यवाही करे।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में अपने रजिस्ट्रार ऑफिस को भी इस तरह के केस नहीं लिए जाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले अनूप अपने आप को निर्दोष बताने के साथ ही बोल रहे थे कि उन्हें न्यायालय ने संरक्षण दे रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब अनूप को मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल मानते हुए वह संरक्षण भी वापस ले लिया है।
इधऱ, इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने प्रसंज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को तलब किया है। जिनको तलब किया गया है, उनमें भारत बंब, पवित्र कोठारी, अनूप बरतरिया, आदर्श मनचंदा, महेश गुप्ता, कमल शर्मा, महेंद्र मेघवाल, रवि प्रकाश शर्मा, प्रगति शर्मा, दिलीप कुमावत, कमल अत्रे, सतीश खंडेलवाल, गौरव धनवाल, विक्रम जैन, दौलत राज कोठारी, मैसर्स जेएलएन मेटल हाउस, मैसर्स रिद्धिमा इन्फ्राटेक औऱ समृद्धि सिद्धि बिल्डर्स शामिल हैं।
मामला जयपुर में जेएलएन मार्ग स्थित वर्ल्ड ट्रेड पार्क से जुड़ा है। इसमें व्यावसायिक स्थान खरीदने, ओडी लिमिट्स बढ़वाने और विदेशी साख पत्र खऱीदने के लिए विभिन्न लोगों के नाम पर सिंडीकेट बैंक की मालवीय नगर, एमआई रोड और उदयपुर शाखा से लोन लिए गए थे। गौर तलब ये है कि उदयपुर के ज्यादातर लोगों को जयपुर की बैंक शाखा से लोन दिए गए। लगभग 118 बैंक खातों में 20,960 लाख रुपए की गड़बड़ी सामने आई। इस पर सीबीआई ने बैंक अधिकारियों के खिलाफ मार्च, 2016 में एफआईआर दर्ज की थी।
