शंकराचार्य ने आरक्षण में गिनाए 5 दोष

राष्ट्रीय उत्कर्ष अभियान यात्रा के तहत गोवर्धन मठ पूरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने समलैंगिक विवाह को लेकर कहा है कि सनातन धर्म के अनुसार यह संभव नहीं है। यह दिशाहीनता है। हम स्वतंत्रता के पक्षधर है, लेकिन यह पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है, स्वतंत्रता नहीं। हम वसुधैव कुटम्बकम के सिद्धांत को मानते है।

जयपुर में मानसरोवर के श्रीराम गोपेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों द्वारा पादुका पूजन के बाद शंकराचार्य ने आज एक पत्रकार वार्ता में आरक्षण पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, स्वतंत्रता से पहले सबका काम तय था। हर व्यक्ति का काम जन्म से सुनिश्चित होता था। महंगाई भी नहीं होती थी। तब आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ती थी। उन्होंने आरक्षण में पांच दोष गिनाते हुए कहा कि आरक्षण से प्रतिभा की हानि, प्रगति की हानि, प्रतिशोध की भावना, परतंत्रता और प्रायोगिक नहीं… जैसे दोष गिनाए। उन्होंने कहा कि आरक्षण से प्रतिभा और प्रगति को नुकसान पहुंचेगा। राजस्थान के भरतपुर गौ तस्कर हत्या मामले पर शंकराचार्य ने कहा कि यह सब शासन तंत्र की विफलता है। जहां शासन तंत्र के कानून व्यवस्था नियंत्रण में होती है, वहां पर ऐसे बवाल नहीं होते हैं। राजनेताओं के पास शब्दभेदी बाण होते हैं, जो इन बाणों का प्रयोग कर चुनाव में अपना काम बना लेते हैं और देश का स्तर गिरा देते हैं। ऐसे राजनेताओं से बचना चाहिए। बागेश्वर धाम महाराज को लेकर शंकराचार्य ने कहा, मैं शंकराचार्य के पद पर हूं तो कथावाचक की समीक्षा करना मेरे लिए उचित नहीं।

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