मासूम की अनूठी गायन शैली, मचाई धूम

पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिले का झिनझिनयाली गांव में सिर पर साफा बांधे सात वर्षीय बालक छोटू खां को हाथ की विभिन्न मुद्राओं में अनूठे अंदाज में सिर व हाथ हिलाते गीत गाता देख हर कोई उसे देखता रह जाता है। लोक धुनों पर इस बच्चे की अनूठी गायन शैली दर्शकों का मन मोह ले रही है।

मरु प्रदेश की माटी में सरहदी जिले के लोक कलाकारों के बीच बड़ा हो रहा यह सात वर्षीय बालक प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया में सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है। मिरासी मंगणयार परिवार में जन्मे छोटू खां सोशल मीडिया व इंटरनेट पर वह छाया हुआ है। गाना चाहे मारवाड़ी हो या फिर फिल्मी, छोटू खां की गायन शैली उसे खास बना दे रही है। छोटू खां अभी दूसरी कक्षा में पढ़ रहा है, लेकिन उसकी रुचि लोक संगीत में ही है। वाद्य यंत्र बजते ही वह सुर से सुर मिलाने से खुद को नहीं रोक पाता। उसके पिता सतार खां है और दादा गफूर खां है। लोक संगीत व गाने बजाने की कला उसे परिवार से विरासत में मिली है। छोटू हिन्दी व मारवाड़ी भाषा दोनों में बात करता है। वह बड़ा होकर स्वरूप खां की तरह गायक बनना चाहता हैं। छोटू का कहना है कि वह पढ़ाई तो कर रहा है, लेकिन उसकी रुचि गीत-संगीत में ही है। त्योहार हो या जागरण या फिर विवाह-समारोह, मरु प्रदेश का छोटू खां हर किसी को अपनी ओर बरबस ही खींच ले रहा है।

देश-विदेश में मशहूर हो चुके कई कलाकारगांव व ढाणियों की सीमा से निकलकर कई लोक कलाकार विश्व स्तर पर मशहूर भी हुए हैं, तो कई फिल्मी जगत में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। साकर खां व अनवर खां जैसे लोक कलाकार पदमश्री पुररस्कार पाने वाले देश के चंद लोगों की फेहरिस्त में शामिल हो चुके हैं तो स्वरुप खां जैसे कलाकार ने इंडियन आइडल में प्रथम चार में स्थान पाकर बॉलीवुड में कदम रखा और पीके फिल्म में अपना गायन कला का हुनर दुनिया को दिखाया। मशहूर गायक ममे खां व गाजी खां बरना जैसे नाम भी किसी से छिपे नहीं है। सरहदी जिले के बईया, हाबुर, सनावड़ा, भैंसड़ा, मोढ़ा सहित कई गांवों में करीब 400 मंगणयार-मिरासी परिवार रहते हैं।

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