फेफड़ों, मोटापे के इलाज की नई थेरेपी खोजी

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (एमसीएआरएस) के शोधकर्ताओं ने फेंफड़ों के इलाज के लिए नई थेरेपी खोज निकाली है। इस खोज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किया जा चुका है। अगले साल इस पर क्लिखनिकल ट्रायल भी शुरू हो जाएंगे।

12 साल से इस शोध में लगे एमसीएआरएस के डॉ तनवीर अहमद ने बताया कि एलर्जिक रेस्पिरेटरी इंफ्लेमेशन एक ऐसी समस्या है, जिससे हमारे फेंफड़े बीमार हो जाते हैं। इसी तरह अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस (दमा) जैसे रोग भी मरीजों के लिए बहुत कष्टप्रद होते हैं। इन रोगों के इलाज में आज स्टेम सेल ट्रीटमेंट एक वरदान की तरह है। लेकिन हमने रिसर्च में पाया कि ओबेसिटी (मोटापा) से ग्रसित लोगों में स्टेम सेल ट्रीटमेंट कारगर नहीं होता था। फेफड़ों की जटिल बीमारी औऱ अस्थमा में होने वाले स्टेम सेल ट्रीटमेंट से मोटे लोगों की कोशिकाएं सक्रिय नहीं हो पाती हैं। इसके कारण उनमें फेंफड़े के ऊतक फिर से रिपेयर (दुरुस्त) नहीं हो पाते। 

एमसीएआरएस ने अपने शोध में फेफड़ों की बीमारी के इलाज के लिए थेराप्यूटिक स्टेम सेल विकसित किए। शोधकर्ताओं ने पाया कि स्वस्थ व्यक्तियों में स्टेम सेल्स को फेफड़ों के रोगों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। लेकिन ओबीज में ऊर्जा पैदा करने वाले ऑर्गेनेल माइटोकॉन्ड्रिया में कार्डियोलिपिन नाम की सामग्री में कमी के कारण उनके स्टेम सेल्स निष्क्रिय हो जाते हैं और खराब मेटाबोलिज्म फिटनेस प्रदर्शित करती हैं।

इस समस्या को हल करने के लिए रिसचर्स की टीम ने पायरोलो क्विनोलिन क्विनोन (पीक्यूक्यू) नाम के मॉलिक्यूल की पहचान की जो मोटे लोगों में होने वाले इस प्रभाव को पूरा उलट सकता है। यह मॉलिक्यूल इन स्टेम सेल्स की मेटॉबोलिज्सम प्रक्रिया को पुनः सक्रिय कर सकता है। शोध के दौरान रिसचर्स ने 50 नमूने एकत्र किए। फिर उसके कल्चर में पीक्यूक्यू मॉलिक्यूल मिला देने से आश्चर्यजनक रिजल्ट मिला। मोटे लोगों में स्टेम सेल का रिजेनरेशन होने लगा। वो रिस्टोर हो गए। इस तरह रिसर्चर्स ने ये थेरेपी ईजाद की। शोधकर्ताओं ने इन स्टेम सेल को प्री-क्लिनिकल मॉडल में पेश किया। इससे सामने आया कि मोटे रोगियों या जानवरों से प्राप्त पीक्यूक्यू -मॉड्यूलेटेड स्टेम सेल ने क्रोनिक एलर्जी वायुमार्ग की सूजन जैसे श्वसन रोगों को कम करने में बेहतर रिजल्ट दिया। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके निष्कर्ष विभिन्न मेटाबॉलिज्म और मोटापे से संबंधित बीमारियों के इलाज में मदद करेंगे।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.