राजस्थान के इस चुनावी साल में नेताओं की दलबदल कवायद शुरू हो गई है। इसकी शुरूआत आज सीकर से पूर्व सांसद और वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे सुभाष महरिया से हुई है। वह करीब सात साल बाद अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने उन्हें भाजपा की सदस्यता ग्रहण करवाई। महरिया के साथ दो पूर्व आईपीएस और एक पूर्व आईएएस अधिकारी भी भाजपा में शामिल हुए हैं।
पूर्व आईपीएस डॉ रामदेव सिंह खेरवा व जीएल मीणा तथा पूर्व आईएएस पीआर मीणा के अलावा राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व महासचिव और कठूमर विधानसभा क्षेत्र से आरएलपी के प्रत्याशी रहे डॉ नरसी किराड भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले शेखावाटी को साधने के लिए सुभाष महरिया को भाजपा में शामिल किया गया है। मुख्य रूप से वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ भाजपा को लक्ष्मणगढ़ में एक मजबूत प्रत्याशी चाहिए था। इसको देखते हुए महरिया को शामिल किया लगता है।
महरिया वर्ष 1998 में भाजपा के टिकट पर सीकर से चुनाव लड़कर पहली बार सांसद बने थे। वर्ष 1999 में वह दूसरी बार सांसद बने। इस बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में महरिया ग्रामीण विकास मंत्रालय के राज्यमंत्री रहे। फिर लगातार तीसरी बार वर्ष 2004 में सीकर से सांसद चुने गए, लेकिन वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव महरिया हार गए। इसके बाद उन्हें वर्ष 2010 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया था। वर्ष 2014 में भाजपा ने सीकर से महरिया को टिकट नहीं दिया था। इससे नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी। वर्ष 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन फिर हार गए। माना जा रहा है कि वर्तमान गहलोत सरकार में पूछ नहीं होने के कारण महरिया नाराज थे।
