बहुचर्चित रकबर मॉब लिंचिंग मामले में गुरुवार को अलवर एडीजे संख्या 1 कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने चार अभियुक्तों को दोषी मानते हुए 7-7 के कारावास की सजा और 10 10 हजार रुपए अर्थ दंड की सजा सुनाई गई है। वहीं, पांचवें मुलजिम को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
कोर्ट के फैसले के बाद आरोपी पक्ष के वकील हेमराज गुप्ता ने बताया कि इस सजा को लेकर हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में न्यायिक जांच हुई थी, जिसमें पुलिसकर्मियों को दोषी माना गया था। लेकिन अदालत ने इस जांच को नजरअंदाज किया, जबकि हमारी ओर से पत्रावली पेश की गई थी। इसके अलावा असलम के बयान में भी कोई आरोपी का नाम नहीं था और अभियोजन पक्ष ने जानबूझकर कोर्ट में उस रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं किया। एक व्यक्ति की मौत पुलिस अभिरक्षा में हुई थी। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक से लेकर उच्च अधिकारियों तक दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा गया था। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वहीं, प्रकरण में स्पेशल लोक अभियोजक अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि 20 जुलाई 2018 में रामगढ़ के ललावंडी गांव से हरियाणा के कोलगांव निवासी रकबर उर्फ अकबर और उसका साथी असलम रात को गाय लेकर जा रहे थे। गो तस्करी के शक में कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया और मारपीट शुरू कर दी थी। असलम छुड़ा कर भाग गया और रकबर को मारपीट के बाद पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया था। पुलिस हिरासत में रकबर की मौत हो गई थी। शर्मा के अनुसार प्रकरण में पुलिस ने मुल्जिम परमजीत सिंह, धर्मेंद्र यादव, नरेश, विजय और नवल किशोर शर्मा को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया था। अलवर एडीजे संख्या एक कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए मुल्जिम नवल किशोर शर्मा को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। शेष चार अभियुक्त परमजीत सिंह, धर्मेंद्र यादव, नरेश और विजय को आईपीसी की धारा 304 ए और 341 में दोषी मानते हुए 7-7 साल के कारावास की सजा और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
