
राजस्थान में दो राजपरिवारों के सदस्य मिलें और कोई चर्चा न हो, ऐसा संभव ही नहीं है। जयपुर और भरतपुर घरानों के दो सदस्य हाल ही मिले, तो चर्चा भी हुई और कयास भी लगे। कयास ये कि कहीं पालाबदली की तो खिचड़ी नहीं पक रही है क्योंकि भाजपा की सांसद ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार के कबीना मंत्री से गुफ्तुगू की है।
राजकुमारी सांसद को उनके दल के नेतृत्व ने महाराज साहब की नब्ज टटोलने का जिम्मा सौंपा, बताते हैं। आगे की प्रगति प्रदेश सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा सकती है।
महाराज साहब को प्रदेश सरकार में जो चाहिए था, वो मिल चुका है। लालबत्ती की उनकी चाहत थी, वो पूरी हो गई। इसके आगे कुछ बड़ा मिलने की फिलहाल संभावना नहीं दिखती। अभी चार साल राज के बचे हैं, लिहाजा जड़ता दूर करने के लिए ही सियासत में हलचल पैदा करने की सोची गई है। प्रदेश की सत्ता के लिए चुनौती पेश करने में असंतोषी कांग्रेसी भी साथ दे रहे हैं। इनके बलबूते महाराज साहब कितनी लंबी छलांग लगाते हैं, यह राजकुमारी की ‘कंन्विंसिंग पावर’ पर निर्भर करेगा।