
— अनिल चतुर्वेदी —
पता नहीं कैसे इस क्रिकेटर से आमजन को इतना लगाव हो गया। जुनूनी लगाव। उसके बारे में कुछ भी उल्टा-सीधा सुनना नहीं। कोई खामी निकाले तो उसके पीछे हाथ धो कर पड़ जाना। जब मैदान पर उतरे तो उसके नाम से पूरा स्टेडियम गूंज उठना। खेले तो बस, फैन्स की दीवानगी की सारी हदें पार हो जाना। यहां बात हो रही है—महेन्द्र सिंह धोनी की।
जहां तक मेरे दिमागी घोड़े दौड़ते हैं, धोनी की फैन फॉलोइंग उसकी चुनिंदा खसियतों की वजह से बढ़ी। रांची जैसे क्रिकेट के लिए अनजान शहर से वो निकला, लेकिन खेल की सूझबूझ में बड़े-बड़े सूरमाओं को पछाड़ दिया। फिर भी उसके हावभाव में कभी दंभ नजर नहीं आया। मैदान पर उसमें क्या-खूब स्थिरता दिखाई देती। शांत-चित्त बर्ताव, हंसी-मुस्कुराहट और विकेट के पीछे साथी खिलाडिय़ों के साथ लगातार चटर-पटर। बल्लेबाजी करते समय खुद आग उगलने के साथ-साथ सामने वाले बल्लेबाज की हौसला-अफजायी करते रहना। मैच हारने पर न निराशा, न झुंझलाहट। जीत दर्ज करने पर बल्लियों उछलने का दिखावा भी नहीं। कप्तानी के दौरान हमेशा टीम के साथियों को आगे रखकर खुद नेपथ्य में रहना। मैच के नतीजे पर टीवी एंकर के साथ बड़ी ही धैर्यता से बातचीत करना। और खेल के हर पहलू पर सटीक टिप्पणी करना।
कप्तानी के शुरूआती दौर में तो धोनी ने विपक्षी टीम का मानस समझने और उसी के अनुरूप रणनीति बनाने में गजब की दक्षता दिखाई। टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी में नए-नए प्रयोग खूब किए, जिससे विपक्षी टीम उनके सामने हमेशा दबाव और भ्रम में दिखी। धोनी की इस कला ने उन्हें क्रिकेट जगत का सफलतम कप्तान बना दिया। उनकी अगुवाई में भारत 2011 का ओडीआई विश्व विजेता तो अधिकृत रूप से बना, लेकिन उससे पहले वर्ष 2009 से ही भारतीय टीम का दुनियाभर में प्रदर्शन चैम्पियन जैसा होने लग गया था। टेस्ट, एकदिनी व 20-20 की लगभग सारी द्विपक्षीय व त्रिकोणीय श्रृंखलाएं तथा अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट टीम धोनी ने जीते। ये ही वो खासियत रहीं, जिनके रहते धोनी करोड़ों भारतीयों के आंखों के नूर बन गए। भारत के बाहर भी उनके असंख्य फैन्स हैं। इनमें दुनियाभर के पूर्व-वर्तमान दिग्गज क्रिकेटर भी शामिल हैं, जो धोनी के खेल की प्रशंसा खुलकर करते हैं। ऐसी प्रतिष्ठा और सम्मान उनके पहले के एकाधा भारतीय क्रिकेटरों के प्रति देखा गया है। शायद इसी वजह से मैं खुद इस धाकड़ खिलाड़ी का बहुत बड़ा फैन बन गया। अब उनके सन्यास लेने की घोषणा ने लाखों-करोड़ों फैन्स की तरह मुझे भी थोड़ा निराश किया है। लिहाजा निराशा को दूर करने और अपने हीरो के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए हम पत्रिका का यह अंक इस लीजेंड को समर्पित कर रहे हैं।