
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का आज सोमवार को लोकार्पण किया। लोकार्पण के बाद उन्होंने रविदास घाट पर संत रविदास की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। मोदी ललिता घाट से अलकनंदा क्रूज के जरिए रविदास घाट पहुंचे। इस दौरान उनके साथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री आज से दो दिन के वाराणसी दौरे पर हैं। वे सुबह पौने ग्यारह बजे काशी पहुंचे। सवा ग्यारह बजे उन्होंने काल भैरव मंदिर में पूजा की। पूजा के बाद वे पैदल ही खिड़किया घाट तक गए। यहां से मोदी क्रूज में बैठकर ललिता घाट पहुंचे। ललिता घाट से गंगाजल लेकर मोदी काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे। गंगाजल से बाबा का अभिषेक किया। वाराणसी मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है।
काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 3 संकल्प मांगे। उन्होंने कहा कि हर देशवासी उनके लिए ईश्वर का अंश है इसलिए वे उनसे कुछ मांगना चाहते हैं। मैं अपने लिए नहीं बल्कि देश के लिए आप से 3 संकल्प चाहता हूं। वे 3 संकल्प हैं स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास।
3 संकल्पों के बारे में विस्तार से बताते हुए पीएम मोदी ने पहले संकल्प स्वच्छता को जीवन शैली का अहम हिस्सा बताया और लोगों से इससे अपनाने को कहा, विशेषकर नमामि गंगे परियोजना में भागीदारी निभाने की अपील की। वहीं दूसरे संकल्प सृजन को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के लंबे कालखंड ने भारतीयों को इस कदर तोड़ा है कि वे सृजन पर अपना विश्वास खो बैठे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “आज हजारों वर्ष पुरानी काशी से, मैं हर देशवासी से यह आह्वान करता हूं कि वे पूर्ण आत्मविश्वास से सृजन करें, नए विचारों के साथ आगे बढ़ें।”
वहीं पीएम मोदी ने कहा कि तीसरा और अंतिम संकल्प आज हमें जो लेना है वह आत्मनिर्भर भारत के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाने का है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 75वें साल में हैं और यह आजादी का अमृतकाल है। जब भारत 100 साल की आजादी का जश्न मनाएगा, तब का भारत कैसा होगा इस बारे में हमें अभी से काम करने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि, काशी में मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ धाम को 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बनाया गया है। इसमें श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। प्राचीन मंदिर के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए 5 लाख 27 हजार वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्र को विकसित किया गया है।
पहले तंग गलियों में स्थित जिस विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी, वहां अब सुकून के साथ श्रद्धालु समय गुजार सकेंगे। धाम का मंदिर चौक क्षेत्र अब इतना विशाल है कि यहां 2 लाख श्रद्धालु खड़े होकर दर्शन-पूजन कर सकेंगे। इसके चलते अब सावन के सोमवारों, महाशिवरात्रि के दौरान शिव भक्तों को दिक्कत नहीं होगी।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का क्षेत्रफल पहले 3,000 वर्ग फीट था। लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर के आसपास की 300 से ज्यादा बिल्डिंग को खरीदा गया। इसके बाद 5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा जमीन में लगभग 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से निर्माण किया गया। हालांकि निर्माण कार्य अभी जारी है। गौरतलब है कि धाम के लिए खरीदे गए भवनों को नष्ट करने के दौरान 40 से अधिक मंदिर मिले। उन्हें विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के तहत नए सिरे से संरक्षित किया गया है।