
राजस्थान में अर्से बाद हुए कांग्रेस के खुले अधिवेशन में शनिवार को कांग्रेस नेताओं ने ब्यूरोक्रेसी को निशाने पर लिया। मंत्री-विधायकों और सीएम के सलाहकारों ने प्रशासन कीखूब कमियां गिनाईं। सीएम सलाहकार और नवलगढ़ से कांग्रेस विधायक राजकुमार शर्मा ने कहा कि हमारे मंत्री और अफसर कार्यकर्ता को शक की निगाह से देखते हैं। ब्लॉक से राजधानी तक कार्यकर्ता के काम होने चाहिए। हम रैली करते हैं या कोई कार्यकम करते हैं तो यही कार्यकर्ता काम करता है, उसे भी नीचे किसी को खुश करना होता हे। हम कार्यकर्ता के काम करेंगे, तभी तो फील्ड में उसके साथ लोग खड़े होंगे, आर्थिक युग है। कार्यकर्ता को शक की निगाह से देखना बंद कीजिए।
राजकुमार शर्मा और दूसरे नेताओं ने कहा कि नौकरशाह हावी है। कार्यकर्ता की सुनवाई नहीं हो रही है। शर्मा ने कहा- मैंने जिला अध्यक्ष को कार्यकर्ता के साथ कलेक्टर के पास भेजा। कलेक्टर ने कहा, अध्यक्षजी आप अपना काम करा लो। मैं मंत्रियों के पास जाता हूं तो मंत्री कहते हैं आप खुद सीएम के सलाहकार हो। यह हालत है।
सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री गोविंदराम मेघवाल ने कहा कि अफसरों को चुनाव के वक्त टिकट नहीं देनी चाहिए। ये लोग जिंदगीभर नौकरी करते हैं और फिर टिकट ले लेते हैं, जबकि पार्टी के लिए काम कार्यकर्ता करता है। मेहनत कार्यकर्ता करें और टिकट अफसरों को मिले तो ग्रासरूट पर वर्कर हताश होता है।अधिवेशन में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच यृद्ध का प्रकरण भी उठा। खाचरियावास ने कहा कि अकबर के साथ राणा प्रताप की लड़ाई धार्मिक नहीं, स्वाभिमान की लड़ाई थी। स्वाभिमान की इस लड़ाई को भाजपा आरएसएस वाले धार्मिक रंग देते हैं।
नेताओं ने ब्यूरोक्रेसी पर निर्भरता की जगह कार्यकर्ता आधारित सिस्टम विकसित करने का सुझाव दिया है। नेताओं ने कहा कि चुनाव कार्यकर्ता जितवाता है, अफसर नहीं। कार्यकर्ता को मजबूत किए बिना केवल अफसरों के भरोसे काम नहीं चलेगा। अधिवेशन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा , गुजरात प्रभारी रघु शर्मा, भंवर जितेंद्र सिंह, सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा,सभी मंत्री, एआईसीसी और पीसीसी मेंबर मौजूद रहे।