तस्करी का तरीका अब बिलकुल बदल गया है। कुछ साल पहले तक अंडर गारमेंट्स में सोने और नशीली दवाओं (ड्रग्स) की तस्करी की जाती थी। मगर अब इंसानी जिस्म को ‘ड्रग कैरियर’ बना दिया है। पुरुषों और महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में गोल्ड और ड्रग्स छिपाकर तस्करी की जा रही है। ऐसा करने से उनकी जान तक को खतरा होता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि ये महिला-पुरुष जान जोखिम में डालकर करोड़ों के ड्रग्स की तस्करी महज फ्री फ्लाइट टिकट और 20 हजार रुपए से 1 लाख तक के कमीशन के लालच में कर रहे हैं। प्राइवेट पार्ट के जरिए तस्करी का ट्रेंड इस कदर बढ़ा है कि जयपुर एयरपोर्ट पर ही पिछले एक महीने में डीआरआई व कस्टम विभाग ने 5 लोगों को पकड़ा है। ये लोग प्राइवेट पार्ट में तस्करी का सोना और ड्रग्स छिपाकर लाए थे। प्राइवेट पार्ट में छिपाए ड्रग्स को ढूंढ पाना कितना मुश्किल है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक केस में मेडिकल टीम को युगांडा की महिला के प्राइवेट पार्ट में छिपाई करीब 16 करोड़ की ड्रग्स को निकालने में 11 दिन लग गए। इसी प्रकार एक पुरुष के रेक्टम से ड्रग्स निकालने में डाक्टरों को छह दिन लगे।
डाक्टरों के अनुसार महिला-पुरुष ड्रग्स या सोने से भरे कैप्सूल को निगल लेते हैं। उसके बाद वे कुछ खा-पी नही सकते। छह घंटे के भीतर उन्हें कैप्सूल को उल्टी करके निकालना जरूरी है। यदि देर हो जाए तो कैप्सूल शरीर के अंदर फट सकते हैं। तब तस्कर की जान को खतरा पैदा हो जाता है। जो तस्कर अपने प्राइवेट पार्ट में काप्सूल डालते हैं, उन्हें टॉयलेट के जरिये इन्हें निकालना होता है। महिला अपने रेक्टम में 80, वेजाइना में 40, जबकि पुरुष अपने रेक्टम में 80 कैप्सूल तक छिपा सकते हैं। इन्हें एक निश्चित समय में निकालना जरूरी होने से तस्कर गंतव्य तक पहुंचने में हवाई यात्रा ही करते हैं।
