केंद्र सरकार जल्द की पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन पर प्रतिबंध लगा सकती है। हाल ही में देशभर के विभिन्न राज्यों में संपन्न रामनवमी उत्सव के दौरान हुई हिंसा और सांप्रदायिक तनाव के लिए केरल स्थित विवादित संगठन पीएफआई को ही जिम्मेदार बताया गया है। सूत्रों ने एक न्यूज वेबसाइट को बताया कि पीएफआई पर प्रतिबंध का फैसला सरकार इसी हफ्ते ले सकती है। इसके संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी।
इस्लामिक संगठन-पीएफआई पर पहले से ही कई राज्यों में प्रतिबंध है, लेकिन केन्द्र सरकार अब अधिसूचना के माध्यम से संगठन पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। गोवा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में रामनवमी जुलूस के दौरान पिछले सप्ताह हिंसा भड़क गई थी। 14 अप्रैल को मध्य प्रदेश के भाजपा प्रमुख वीडी शर्मा ने आरोप लगाया था कि पीएफआई ने खरगोन में आगजनी और पथराव के लिए धन दिया, जिसके कारण इलाके में हुई हिंसा के बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया गया।
भाजपा युवा मोर्चा के प्रमुख तेजस्वी सूर्या ने भी पीएफआई पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया। राजस्थान के करौली में पथराव स्थल पर जाने से रोके जाने को लेकर सूर्या ने कहा, पीएफआई की तरह हमारे हाथों में हथियार या पत्थर नहीं थे। हम न्याय यात्रा करना चाहते थे और पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करना चाहते थे। इधर, पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने कहा कि संगठन ने राष्ट्र के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है और अगर सरकार ने इसे प्रतिबंधित करने की कोशिश की, तो वह कानूनी निकायों से संपर्क करेगा। उन्होंने कहा, सरकार हम पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती, हमने राष्ट्र के खिलाफ कुछ नहीं किया है।
पीएफआई का गठन 2006 में केरल में हुआ था। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। केंद्रीय जांच एजेंसी देश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शनों को भड़काने, दिल्ली के दंगों और कई अन्य मामलों में पीएफआई के कथित ‘वित्तीय जुड़ाव’ की जांच कर रही है।
(स्रोत—न्यूज 18)
