थोक मूल्य आधारित महंगाई सूचकांक पिछले एक साल से दहाई अंकों में ही बना हुआ है। मार्च में मंहगाई बढ़कर 14.55 फीसदी पर पहुंच गई, जो चार महीने का शीर्ष स्तर है।
वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को थोक मूल्य आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि मार्च में मंहगाई सूचकांक करीब 1.5 फीसदी बढ़ा है। फरवरी में इसकी दर 13.11 फीसदी थी। पिछले 12 महीनों से थोक महंगाई की दर दहाई अंकों में ही बनी हुई है। मार्च, 2021 में थोक महंगाई 7.89 फीसदी थी और इसके बाद से यह दर कभी भी 10 फीसदी से नीचे नहीं आई है।
थोक महंगाई के आसमान छूने के पीछे सबसे बड़ा कारण खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ना है। विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर फरवरी में 8.47 फीसदी थी, जो मार्च में बढ़कर 8.71 फीसदी हो गई है। इसके अलावा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से भी महंगाई भड़की है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से धातुओं और कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।
मंत्रालय ने कहा कि फरवरी में ईंधन की महंगाई दर 5.68 फीसदी थी, जो मार्च में ही बढ़कर 9.19 फीसदी पहुंच गई है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ना और सीएनजी-पीएनजी महंगी होने की है। सब्जियों की कीमतों में सबसे ज्यादा असर दिख रहा है। मार्च में सब्जियों की औसत कीमत 19.88 फीसदी बढ़ी है। आलू की कीमतों में 24.62 फीसदी का इजाफा हुआ, जबकि प्याज 9.33 फीसदी सस्ता हो गया है। फलों की थोक महंगाई दर 10.62 फीसदी रही जबकि गेहूं की महंगाई दर 14.04 फीसदी पहुंच गई। अंडा, मांस और मछली की महंगाई दर 9.42 फीसदी पहुंच गई, जो एक महीने पहले 8.14 फीसदी थी।
