समान नागरिक संहिता पर भाजपा शासित राज्यों ने समान नीति बनाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा और राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द को किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, एक बार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद अन्य राज्यों को भी इसका पालन करना चाहिए।
उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश भी समान नागरिक संहिता को लागू करने की योजना को आगे बढ़ा रहा है, जबकि अन्य राज्यों के नेताओं ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है। समान नागरिक संहिता शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होती है। समान संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आती है। इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा।
यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। इसका सभी को स्वागत करना चाहिए। एक देश में सभी के लिए एक कानून समय की मांग है। यह आवश्यक है कि हम एक व्यक्ति के लिए एक कानून और दूसरे के लिए दूसरे कानून की व्यवस्था से बाहर निकलें।
इधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने का आग्रह किया है। पत्र में सिंह ने मुख्यमंत्री के ध्यानार्थ कहा है कि उत्तराखंड में नवगठित भाजपा सरकार ने हाल ही में एक समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं को देखने के लिए जल्द ही विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की बात कही है।
