लाउडस्पीकर को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि मस्जिद में अजान के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग करना मौलिक अधिकार में नहीं आता है। लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत मांगने वाली याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने साफ कहा कि लाउडस्पीकर की इजाजत के लिए कोई अन्य ठोस आधार नहीं दिए गए हैं। लिहाजा कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। अदालत ने याचिका में की गई मांग को गलत बताया।
मामला दिसंबर 2021 का है। बदायूं के बिसौली गांव में एक मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाकर अजान की मांग से संबंधित आवेदन एसडीएम के समक्ष किया गया था। 3 दिसंबर 2021 को एसडीएम ने लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। एसडीएम के आदेश के खिलाफ इरफान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। उसने एसडीएम के आदेश को चुनौती दी। इरफान की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस वीके बिड़ला और जस्टिस विकास ने याचिका को खारिज कर दिया। दोनों जजों ने कहा कि अब यह स्थापित हो चुका है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं है।
बता दें कि हनुमान जयंती के मौके पर दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर के खिलाफ अभियान तेज किया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर को हटाने या आवाज धीमी करने का आदेश दिया है। आवाज धीमी नहीं करने वाले संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है। ऐसे स्थानों से लाउडस्पीकर हटाने का अभियान भी चल रहा है। सीएम योगी ने तय मानक से अधिक आवाज में लाउडस्पीकर नहीं बजाने के आदेश दिए हैं। इस पर देश में खूब राजनीति हो रही है। उत्तर प्रदेश में मंदिरों और मस्जिदों से 1 लाख से भी ज्यादा लाउडस्पीकर हटाए जा चुके हैं।
