केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में विपक्षी पार्टी डीएमके ने कथित रूप से हिंदी थोपने के खिलाफ सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा कि वह अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगी। उन्होंने कहा, ऐसा कुछ थोपा नहीं गया था। क्षेत्रीय भाषा तमिल को उचित प्राथमिकता दी जा रही थी।
केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में पार्टी संयोजक और विपक्ष के नेता आर शिवा के नेतृत्व में जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में हाल ही में जारी हुए सर्कुलर के विरोध में प्रदर्शन किया गया। इसमें द्रमुक नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। इस सर्कुलर में सरकारी रिकॉर्ड और संचार में हिंदी को यूज करने का निर्देश दिया गया है। इस विरोध प्रदर्शन में स्थानीय युवाओं सहित कई प्रदर्शनकारियों ने संस्थान द्वारा जारी किए गए सर्कुलर के विरोध में निंदा के नारे लगाए।
शिवा ने आरोप लगाते हुए कहा कि जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च पहले से ही स्थानीय युवाओं के लिए नौकरी के अवसरों से वंचित कर रहा है। अब हिंदी को थोपने के निर्देश से स्थानीय लोगों पर एक और झटका है। इसे बिना शर्त वापस लिया जाना चाहिए। तमिझागा वज़्वुरिमाई काची नेता और तमिलनाडु विधानसभा के सदस्य टी वेलमुरुगन ने भी हिंदी थोपने का विरोध किया और हिंदी को बेशर्मी से थोपना करार दिया। इसके साथ ही इन्होंने जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च का दौरा भी किया। वहां निदेशक राकेश अग्रवाल ने कहा संस्थान में किसी भी तरह से हिंदी नहीं थोपी गई है, तमिल स्थानीय भाषा को प्राथमिकता दी जाती है।
