
— देवेन्द्र गर्ग
हिंदी सिनेमा जगत में खेलों पर काफी समय से फिल्में बनती रही हैं और इनमें से अनेक फिल्में मील का पत्थर साबित हुई हैं। दर्शकों की खेलों के प्रति दीवानगी को देखते हुए फिल्म इंडस्ट्री ने क्रिकेट, कुश्ती, हॉकी, मुक्केबाजी जैसे खेलों पर कई अच्छी फिल्में बनाई हैं। इससे दर्शकों को खेल और मनोरंजन का संगम एक ही जगह मिल जाता है।
एक समय था जब भारत में कहा जाता था…‘पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खराब।’ लेकिन अब जमाना बदल रहा है। मां—बाप भी अब बच्चे की रुचि को ध्यान में रखकर उसे खेलकूद में भाग लेने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उस पर अनावश्यक पढ़ाई का दबाव नहीं बनाते। इस कारण युवाओं में खेलकूद के प्रति लगाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से खेलों पर फिल्म बनाने का चलन बढा है। कई फिल्में हिट भी हुई हैं, इससे फिल्म निर्माताओं का रुझान इस विषय की ओर ज्यादा हुआ है। खेल पर आधारित फिल्में जन साधारण में अलग-अलग खेलों के प्रति मन में एक उत्साह पैदा करती हैं और उस खेल की प्रति उनकी जानकारी बढ़ाती है। साथ ही, यह एक खिलाड़ी के जीवन के संघर्ष को भी परदे पर दर्शाती हैं, जिससे लोगों के मन में खिलाडिय़ों के प्रति सम्मान की भावना पैदा होती है।
क्रिकेट पर खूब फिल्में
भारत में क्रिकेट खेल के प्रति दीवानगी के चलते इस पर भारत में अनेक फिल्में बनी हैं। आज से 21 साल पहले वर्ष 2001 में ‘लगान’ फिल्म रिलीज हुई थी। यह एक पीरियड ड्रामा फिल्म थी। आमिर खान द्वारा अभिनीत ‘लगान’ फिल्म ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की, बल्कि इसे ऑस्कर अवॉर्ड के लिए भी नामित किया गया था। इस फिल्म ने आमिर खान के करियर को भी एक नई ऊंचाई दी। आमिर द्वारा अभिनीत एक और फिल्म ‘दंगल’ वर्ष 2016 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म भारत में बनी सबसे बेहतरीन स्पोर्ट्स फिल्म में से एक मानी जाती है। कुश्ती पर बनी इस फिल्म में आमिर खान ने मुख्य भूमिका निभाई थी। सच्ची कहानी पर आधारित यह फिल्म महावीर सिंह फोगाट और उनकी दो बेटियों की कहानी है। फिल्म में दो बेटियों की कुश्ती को दुनिया में नाम कमाते हुए दिखाया गया है, जिनका समाज तो विरोध करता है, लेकिन पिता साथ देता है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और क्रिकेट के सबसे बेहतरीन फिनिशर महेंद्र सिंह धोनी की कहानी पर आधारित ‘एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ 2016 में पर्दे पर आई थी। धोनी रेलवे में एक टिकट कलेक्टर से भारतीय टीम के कप्तान कैसे बने, फिल्म का ताना—बाना इसी के आसपास बुना गया है। फिल्म में धोनी की भूमिका, अब इस दुनिया में नहीं रहे अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने निभाई थी। क्रिकेट पर ही एक और फिल्म ‘काय पो छे’ में भी सुशांत सिंह ने अपने अभिनय से जान डाल दी थी।
साल 1990 की देव आनंद निर्देशित ‘अव्वल नंबर’ क्रिकेट पर ही आधारित फिल्म थी। उस समय देव साहब की उम्र करीब 67 वर्ष की थी और उन्होंने आमिर खान के साथ-साथ एक्टिंग की थी। कहानी एक ऐसी टीम के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें क्रिकेट स्टार बने आदित्य पंचोली के स्थान पर आमिर खान को शामिल कर लिया जाता है। आदित्य बदले की आग में जल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इंडिया ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले मैच के लिए आतंकवादी बम विस्फोट का प्लान बना रहे हैं। फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा था।
साल 1983 की तारीख 25 जून भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है, जब हर देशवासी का सिर गर्व से ऊंचा था और आंखें नम थीं। बेहद कमजोर मानी जाने वाली भारतीय टीम ने फाइनल मैच में वेस्ट इंडीज को 43 रन से हराकर वल्र्ड कप अपने नाम कर लिया था। इसके बाद ही दुनिया में भारतीय क्रिकेट टीम को सम्मान की नजरों से देखा जाने लगा था। उस ऐतिहासिक विजय पर आधारित फिल्म ‘83’ दिसम्बर 2021 में रिलीज हुई। इस फिल्म का निर्देशन कबीर खान ने किया है, जिसमें रणवीर सिंह, ताहिर भसीन, हार्डी संधू, जीवा, दीपिका पादुकोण आदि कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। ‘83’ हिंदी के अलावा दक्षिण भारतीय भाषाओं में 2-डी के साथ 3-डी में भी रिलीज की गयी थी। फिल्म में अपने अभिनय के लिए रणवीर को दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर का पुरस्कार भी मिला है।
क्रिकेट पर ही आधारित 2019 में बनी तेलुगू फिल्म ‘जर्सी’ को इसी नाम से हिंदी में बनाया गया है। यह एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है, जिसमें शाहिद कपूर, मृणाल ठाकुर और पंकज कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं। इसमें एक क्रिकेट खिलाड़ी का संघर्ष बताया गया है। खिलाड़ी के सपने पूरे नहीं होने पर उसकी कुंठा है। एक मध्यमवर्गीय परिवार का सपना है, उसका संघर्ष है। एक असफल व्यक्ति के प्रति लोगों का रवैया किस प्रकार बदल जाता है, इसे बड़े ही भावुक तरीके से इस फिल्म में दिखाया गया है। पिछले माह ही 22 अप्रेल को रिलीज हुई इस फिल्म के हिन्दी वर्जन को अपेक्षा अनुसार दर्शकों का समर्थन क्यों नहीं मिला, समीक्षक इस पर माथापच्ची कर रहे हैं।
क्रिकेट पर आधारित एक और फिल्म ‘शाबाश मिठू’ भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज की बायोपिक है। इस फिल्म की रिलीज डेट लॉकडाउन और अनेक कारणों से कई बार टल चुकी है। अब फिल्म 15 जुलाई को रिलीज करने की घोषणा की गई है। फिल्म में मिताली का किरदार अभिनेत्री तापसी पन्नू ने निभाया है। इस फिल्म में मिताली राज के जीवन में आए उतार-चढ़ाव, असफलताओं को पर्दे पर उतारा जाएगा।
क्रिकेट पर बनी एक और फिल्म ‘इकबाल’ वर्ष 2005 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म एक गूंगे बहरे लडक़े की कहानी है, जो कि गजब का गेंदबाज है। उसका आत्मविश्वास और क्रिकेट के लिए जुनून कुछ ऐसा है कि कोई उसे इंडियन क्रिकेट टीम में शामिल होने से नहीं रोक पाता।
वर्ष 2012 में ही रिलीज हुई ‘फेरारी की सवारी’ फिल्म भी क्रिकेट पर ही आधारित थी। एक बच्चे के क्रिकेट से जुड़े सपने और टीम में उसके चयन के इर्द-गिर्द ही इस फिल्म की कहानी बुनी गई थी। शरमन जोशी और बोमन ईरानी की जबरदस्त एक्टिंग और भावुक कहानी के दम पर इस फिल्म ने दर्शकों को खूब मनोरंजन किया था।
रूपहले पर्दे पर खेल जलवा
क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों पर भी अनेक अच्छी फिल्में बनी हैं। फिल्म ‘चक दे इंडिया’ 2007 में रिलीज हुई थी। यशराज बैनर तले बनी इस फिल्मे में शाहरुख खान ने शानदार अभिनय से दर्शकों को खूब लुभाया। भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी पर बनी इस फिल्म ने महिला हॉकी को प्रोत्साहित किया। फिल्म में शाहरुख खान ने इंडियन गल्र्स हॉकी टीम के कोच का किरदार निभाया था। फिल्म में शाहरुख खान के अलावा सागरिका घाटगे, शिल्पा शुक्ला और विद्या मालवडे भी प्रमुख भूमिका में थीं। इस फिल्म में भारतीय महिला हॉकी टीम द्वारा सभी बाधाओं को पार करके टूर्नामेंट जीतने की कहानी को परदे पर साकार किया गया था। 2012 में रिलीज हुई ‘पान सिंह तोमर’ भारत के एथलीट और सेना के जवान रहे पान सिंह तोमर की जीवनी पर आधारित थी। इरफान खान ने लीड रोल में इस फिल्मे में जैसे जान डाल दी। गांव के परिवेश से जुड़े हालातों में कैसे भारतीय सेना का एक जवान बागी डाकू बन जाता है, यही इस फिल्म का प्लॉट था।
वर्ष 2014 में पर्दे पर आई अमोल गुप्तेय की ‘हवा हवाई’ स्केटिंग पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म ने बहुत बारीकी से और भावना पूर्ण तरीके के साथ एक ऐसे खेल को प्रोत्साहित किया, जो भारत जैसे देश में बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। 2014 में ही रिलीज हुई फिल्म ‘ख्वाब डेयर टु ड्रीम’ जैद अली खान द्वारा निर्देशित थी। इसमें भी एथलीट और उससे जुड़े जुनून को दर्शाया गया था। भ्रष्ट नेताओं और खराब हालतों की वजह से कैसे 130 करोड़ की आबादी वाला यह देश बिना कोई मेडल लिए शर्मशार खड़ा रहता है, इस सच को बखूबी फिल्माया गया था।
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित ‘भाग मिल्खा भाग’ फिल्म एक ब्लॉकबस्टर साबित हुई। वर्ष 2013 में रिलीज हुई राकेश ओमप्रकाश मेहरा की इस फिल्म में मिल्खा सिंह की भूमिका फरहान अख्तर ने निभाई है। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के उस दौर को मिल्खा सिंह ने एक बच्चे के रूप में कैसे देखा और अपने पूरे परिवार को दंगों में किस तरह खो दिया, यह काफी मार्मिक है। यह एक प्रेरणादायी फिल्म है, जो अपनी फिटनेस पर काम करने के लिए लोगों को प्रेरित करती है।
साल 2014 में पर्दे पर आई ‘मैरी कॉम’ फिल्म भारतीय बॉक्सर मैरी कॉम की कहानी है। फिल्म में मैरी कॉम की भूमिका प्रियंका चौपड़ा ने निभाई है। इस बायोपिक फिल्म का डायरेक्शन उमंग कुमार ने किया है। फिल्म में प्रियंका के अलावा सुनील थापा, रॉबिन दास, रजनी बासुमैत्री भी मुख्य भूमिका में हैं।
तापसी द्वारा अभिनीत एक और फिल्म ‘रश्मि रॉकेट’ अक्टूबर 2021 में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज की गई थी। एक फौजी को बचाते समय लगाई गई उसकी दौड़ उसे भारतीय सेना के एक कैप्टन के करीब लाती है जो उसे फिर से ट्रैक पर उतारने की जिद ठान लेता है। ‘रश्मि रॉकेट’ के किरदार में तापसी पन्नू परिवार व समाज की बेडिय़ों को पार कर एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए आगे बढ़ती है। लेकिन जेंडर वेरिफिकेशन उसकी भावना और मनोबल को तोड़ देता है। एक महिला के रूप में उसकी पहचान पर सवाल खड़ा करता है, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। अपनी प्रतिष्ठा और पहचान वापस पाने के लिए रश्मि पति गगन और वकील इशित यानि अभिषेक बनर्जी के साथ न्याय पाने का प्रयास करती है।
वर्ष 2020 में रिलीज फिल्म ‘पंगा’ भारत के गांव-गांव में खेले जाने वाले खेल कबड्डी पर आधारित है। इसकी कहानी साधारण मध्यमवर्गीय सरकारी परिवार के परिवेश में रची गई है। ‘पंगा’ सारे देश की महिलाओं की कहानी है, जो अपना सुनहरा करियर और भविष्य छोडक़र घर-परिवार की चक्की में पिस जाती हैं और उफ तक नहीं करतीं। इस फिल्म को देखने के बाद उम्मीद की जा सकती है कि जो महिलाएं काम पर लौटने का सपना मन में संजोए हुए हैं, वे उस पर थोड़ा और ध्यान देंगी और उनका परिवार भी कहीं सोचने पर मजबूर होगा। ‘पंगा’ न सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म है, बल्कि यह दर्शकों के लिए प्रेरणादाई भी है।
जया (कंगना रनोट) और प्रशांत (जस्सी गिल) बेटे आदी (योग्य भसीन) के साथ भोपाल के रेलवे क्वार्टर में रहते हैं। जया को रेलवे में नौकरी इसलिए मिली, क्योंकि वह कबड्डी नेशनल टीम की कप्तान रही है। देश के लिए कई सारे मेडल जीत चुकी है। लेकिन शादी के बाद घर-परिवार बच्चा नौकरी में खो गई है। एक इमोशनल दृश्य के बाद बेटा आदी इस बात की जिद पकड़ लेता है, उसकी मां को कमबैक करना चाहिए और बाल हठ पूरा करने के लिए मां-बाप इस ड्रामे को अंजाम देने पर लग जाते हैं। जया के किरदार में कंगना फिल्म में पूरी तरह से छा जाती हैं। एक मध्यमवर्गीय महिला, उसकी मजबूरियां, उसके सपने, उसका अतीत, जो बारीकियां कंगना ने पेश की हैं, वह वाकई काबिले-तारीफ है।
1992 मे आई ‘जो जीता वही सिंकदर’ फिल्म में टिपिकल कॉलेज लाइफ के नजारे देखने को मिले थे। यह फिल्म एक मैराथन साइकिल रेस के बारे में है। फिल्म में खेल के अलावा एक अमीर व गरीब लडक़े का एक ही लडक़ी के लिए लडऩा और अलग-अलग क्लॉस के कॉलेज के लडक़ों को अलग तरह से ट्रीट किया जाना आदि काफी कुछ है। यह फिल्म उस दौर में सुपर हिट रही थी और बाद में इस फिल्म का बंगाली, तेलुगु और तमिल रीमेक भी बनाया गया।
इसके अलावा ‘हिप हिप हुर्रे’, ‘दन दनाधन गोल’, ‘पाटियाला हाउस’, ‘गोल्ड’, ‘सूरमा’, क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के जीवन पर आधारित बायोपिक ‘सचिन : ए बिलियन ड्रीम्स’ आदि फिल्में हैं, जिन्होंने दर्शकों का खूब मनोरंजन तो किया ही साथ ही उनको रोमांचित भी किया।