
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्याकांड मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने 31 साल से जेल में बंद हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन को रिहा कर दिया है। पेराविलन ने मानवीयता के आधार पर इस मामले में याचिका दाखिल की थी।
राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक बम धमाके में हुई थी। धमाके में उपयोग किए गए दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीद कर मुख्य दोषी शिवरासन को देने के आरोप में ए. जी. पेरारिवलन को दोषी ठहराया गया था।
कोर्ट से राहत मिलने के बाद पेररिवलन ने मीडिया को कहा, मैं 31 साल से संघर्ष कर रहा हूं। अब बाहर आकर नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में मृत्युदंड की आवश्यकता नहीं है। यह सिर्फ दया का मामला नहीं है। कोर्ट ने भी ऐसा माना है।मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार कानून का पालन नहीं करेगी, तो हम आंख मूंद नहीं सकते हैं। साथ ही कहा कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य है, लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया है।
इस मामले में पहले जयललिता, फिर ए. के. पलानीसामी ने तमिलनाडु कैबिनेट में 2016 और 2018 में दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपालों ने इसे नहीं माना था। आखिर में इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था।
पेरारिवलन को 1998 में टाडा अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। साल 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा, लेकिन 2014 में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। राहत नहीं मिलने के बाद पेरारिवलन और अन्य दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। दोषियों ने दलीलें दी कि 16 साल से ज्यादा की सजा भुगतने के बाद भी अन्य दोषियों की तरह उन्हे छूट से वंचित कर दिया गया है। अब तक वे तीन दशक की जेल सजा काट चुके हैं।