उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या का असली मकसद आतंक की दहशत कायम करना था। तय था कि कन्हैयालाल को गोली नहीं मारनी है। आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की तरह गला काटना है और उसका वीडियो भी बनाना है, ताकि देखने वालों की रूह कांप जाए।
राजस्थान पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) के अधिकारियों के अनुसार हत्यारों को ये सभी आदेश कौन दे रहा था, यह अभी साफ नहीं हो पाया है। किंतु अब तक की जांच में सामने आया है कि हत्याकांड में कई और लोग शामिल थे और किसी के इशारे पर ही इस हत्या की योजना बनाई गई थी।
यह भी पता चला है कि कन्हैयालाल ही नहीं, नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट करने वाले कई लोग इनके निशाने पर थे। उनका हश्र भी कन्हैया जैसा करने का आदेश था। आदेश देने वालों ने ही गौस मोहम्मद और रियाज जब्बार को ट्रेनिंग दी थी। उदयपुर की एसके इंजीनियरिंग फैक्ट्री में हत्यारों ने हथियार तैयार किए थे। दोनों ने कई ऐसे हथियार बनाए, जिनसे सर को आसानी से धड़ से अलग किया जा सकता था।
हत्यारा गौस मोहम्मद वेल्डर का काम करता है, उसी ने हथियार तैयार किए। हत्याकांड से पहले और बाद में वीडियो बनाने का काम भी इसी फैक्ट्री में हुआ था। पुलिस ने इसी फैक्ट्री से कई हथियार बरामद किए हैं। गौस और रियाज दोनों कन्हैयालाल की हत्या के लिए बाइक लेकर पहुंचे थे। बाइक पर मुंबई हमले की तारीख 2611 का नंबर था। दोनों ने दुकान से 70 मीटर दूर गली के कोने पर बाइक को स्टार्ट ही छोड़ दिया था, ताकि आसानी से फरार हो सकें।
हत्या के बाद दोनों बाइक लेकर देवगढ़ की ओर एक गैराज में गए। दोनों का वहीं रुकने की योजना थी, लेकिन गैराज वाले ने मना कर दिया। इसके बाद दोनों बाइक लेकर गांवों के रास्ते से राजसमंद के भीम की ओर भागे। उनका अजमेर भागने का प्लान था, लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया। बाइक भी पुलिस की कस्टडी में है।
इधर, मृतक की पत्नी यशोदा ने बताया कि कन्हैयालाल 15 दिनों से बहुत परेशान चल रहे थे। शिकायत के बाद भी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। उनकी दुकान पर रेकी की जा रही थी। रोजाना धमकी मिल रही थी। तब उन्होंने 6 दिन पहले ही दुकान में सीसीटीवी लगवाए थे। रियाज और गौस ने हत्या का जो वीडियो बनाया, उसमें भी सीसीटीवी दिखाई दे रहा है। रियाज और गौस को इसका पता चल गया था, इसलिए उन्होंने दुकान में घुसने से पहले सीसीटीवी का कनेक्शन काट दिया था। (साभार—भास्कर)
