नीरज चोपड़ा को आज भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में चोट लग गई थी। वह पट्टी बांधकर मैदान में उतरे थे। इसी वजह से आखिरी दो थ्रो सही नहीं हुए। नीरज ने सिर्फ तीन थ्रो के बदौलत ही रजत पदक जीत लिया। फाइनल में नीरज ने अपने तीन सफल थ्रो में 82.39 मीटर, 86.37 और 88. 13 मीटर दूर भाला फेंका। उन्हें चौथे दौर में चोट लगी थी।
इधर, नीरज के गांव में देखने लायक दृष्य था। बेटा सात समंदर पार अमरीका में देश की नुमाइंदगी कर रहा है, तो हजारों किलोमीटर दूर हरियाणा के खांद्रा गांव में सैकड़ों आंखें टेलीविजन के पर्दे पर टिकी थीं। बिना पलक झपकाए सबको इंतजार था उस थ्रो का, जिस पर देश का नाम रोशन करने का दारोमदार था। बेटे ने अपनी लय में भाला फेंका और सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया।
ओलिंपिक के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा के वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर जीतते ही पिता के आंसू निकल आए.. मां झूमने लगीं और गांव के लोग लड्डू बांटने लगे। नाचते हुए मां बोलीं- बेटा जैसे ही घर आएगा, उसे चूरमा खिलाऊंगी। जश्न देश की राजधानी दिल्ली में भी मना और प्रधानमंत्री मोदी बोले- ये मौका खास है।
जैसे ही फाइनल शुरू हुआ, गांव में सब के सब पर्दे के सामने बैठ गए। पहले तो नीरज के शुरुआती थ्रो से निराशा हुई। लेकिन, गांव के बुजुर्गों ने कहा कि अभी इवेंट बाकी है। उसके बाद जब ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने 90 मीटर से ज्यादा भाला फेंका तो लगा कि मेडल हाथ से फिसल जाएगा। सब शांत थे।
नीरज ने दूसरे थ्रो में 82.39 मीटर और तीसरे में 86.37 मीटर दूर भाला फेंका। जो मेडल के लिए काफी नहीं था। फिर नीरज ने चौथे प्रयास में 88.13 मीटर का भाला फेंका तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। सब चिल्लाने लगे। जैसे ही नीरज का चांदी का तमगा मिलने की घोषणा हुई, नीरज के पिता की आखों में आंसू आ गए।
गांव में इस जश्न की तैयारी घंटों पहले से शुरू हो गई थी। सुबह के 4 बजे थे, पर खांद्रा गांव जाग रहा था, जोश और उम्मीदों से भरा था। पूरा गांव नीरज चोपड़ा के घर में इकठ्ठा हो गया था। यहां का बेटा वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश के लिए भाला जो फेंक रहा था। फाइनल मुकाबला देखने के लिए बड़े पर्दे की व्यवस्था की गई थी। जैसे ही मेडल आया मिठाई और लड्डू बांटने लगे। नीरज के पिता सतीश कुमार को लोगों ने लड्डू खिलाए। पिता ने बेटे की इस उपलब्धि पर जश्न मनाते हुए कहा कि अभी उसे देश के लिए गोल्ड भी लाना है। नीरज की मां सरोज देवी ने कहा कि वह बेहद खुश हैं। कठिन परिश्रम के फल मिला। हमें पक्का यकीन था कि वह इस इवेंट में मेडल जीतेगा।
