राजस्थान कांग्रेस में सीएम बदलने के मुद्दे पर अशोक गहलोत खेमा दबाव बनाने पर उतर आया है। समर्थक विधायकों ने सरकार गिराने की धमकी दी है। पार्टी विधायक दल की बैठक से पहले उन्होंने स्पीकर सीपी जोशी से मिलकर सामूहहिक इस्तीफे की रणनीति बनाई। कई विधायकों ने तो इस बैठक का बहिष्कार करने तक की सलाह दे दी।
हालांकि, खुद गहलोत ने नई पीढी को मौका मिलने की बात कही है। मगर साथ ही यह भी कहा कि नया चेहरा चुनाव जिताने वाला होना चाहिए।
गहलोत खेमे के विधायकों का कहना है कि अगर विधायकों की भावना के अनुरूप अगला मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो राजस्थान में सरकार गिर सकती है। मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि सब चाहते गहलोत को ही सीएम रहना चाहिए। अगर विधायकों की भावना के खिलाफ सीएम बनाया तो हम सरकार गिरा सकते हैं।
वहीं, मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा है कि विधायक दल जैसी बैठकों में एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हैं कि जो हाईकमान तय करेगा, वही हमें मंजूर होगा। इधर, मंत्री राजेंद्र गुढ़ा शांति धारीवाल के बंगले के गेट से वापस लौट गए। उन्होंने कहा कि यहां 101 विधायक नहीं हैं।
मंत्री राजेंद्र गुढ़ा सहित जी-6 से जुड़े विधायकों ने भी शांति धारीवाल के घर हुई गहलोत समर्थक विधायकों की बैठक से दूरी बना ली। गुढ़ा ने कहा कि बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए, इसके बिना सरकार अल्पमत में होती ही। मंत्री धारीवाल के घर हुई बैठक में 101 विधायक नहीं थे, इसलिए मैं नहीं गया। विधायक वाजिब अली, खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज सिंह मलिंगा भी गुढ़ा के साथ बैठक में नहीं गए।
सूत्रों के अनुसार गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले कांग्रेस विधायक सचिन पायलट का नाम उछलने से नाराज हैं। वह चाहते हैं कि जो विधायक सियासी संकट के वक्त गहलोत सरकार के साथ रहे, उनकी बात को पूरी तवज्जो दी जाए।
