केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जजों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि न्यायपालिका की कार्यवाही पारदर्शी नहीं है। वहां बहुत राजनीति हो रही है। आपसी मतभेद औऱ गुटबाजी देखी जा रही है। उन्होंने चेताया, अगर जज न्याय देने से हटकर कार्यकारी काम करेंगे तो हमें पूरी व्यवस्था का फिर से आंकलन करना होगा।
अहमदाबाद में आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य की तरफ से आयोजित कार्यक्रम ‘साबरमति संवाद’ में पहुंचे रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम भी राजनीति से अछूता नहीं है। देश में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव लाने की जरूरत है। संविधान के अनुसार जजों की नियुक्ति करना सरकार का काम है, लेकिन 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना कॉलेजियम सिस्टम शुरू कर दिया। दुनियाभर में कहीं भी जज, दूसरे जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं। जजों का मुख्य काम है न्याय देना, लेकिन मैंने नोटिस किया है कि आधे से ज्यादा समय जज, दूसरे जजों की नियुक्ति के बारे में फैसले ले रहे होते हैं। इससे ‘न्याय देने’ का उनका मुख्य काम प्रभावित होता है। जब न्यायपालिका अपने कर्तव्य से भटक जाती है तो उसे सुधारने का कोई रास्ता नहीं है।
मंत्री रिजिजू ने न्यायपालिका के अंतर्गत एक सेल्फ-रेगुलेटरी मैकेनिज्म की मांग की है, जिससे जजों के तौर-तरीकों को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में जब कोर्ट की कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम किया जाएगा, तो स्वाभाविक है कि लोग जजों को जज करेंगे। मैं न्यायपालिका को आदेश नहीं दे रहा हूं, मैं सिर्फ उन्हें चेतावनी देना चाहता हूं कि न्यायपालिका भी लोकतंत्र का हिस्सा है। लोग जजों को देख रहे हैं, इसलिए उनका व्यवहार सही होना चाहिए।
