राजस्थान कांग्रेस मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहे घमासान के दौरान 25 सितंबर को गहलोत गुट के 92 विधायकों की ओर से स्पीकर सीपी जोशी को सौंपे गए इस्तीफे का मामला अब तूल पकड़ रहा है। 60 दिन से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद अभी तक कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं होने से स्पीकर जोशी पर भी दबाव बढ़ने लगा है।
हालांकि इस संबंध में कांग्रेस सूत्रों ने कहना है कि यदि कोई विधायक स्पीकर जोशी के सामने उपस्थित होकर अपने हस्ताक्षर किया त्यागपत्र उन्हें सौपता है तो उसे स्वीकार करने का प्रावधान है, लेकिन इस मामले में एकसाथ कई इस्तीफे दिए गए हैं, लिहाजा पहले इनकी सत्यता की जांच स्पीकर करेंगे। वो संबंधित विधायकों को बुलाकर पूछताछ कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में समय लगेगा। ऐसे में फिलहाल विधायकों के इस्तीफे पर जल्द फैसला मुमकिन नहीं है।
इधर, प्रमुख विपक्षी दल भाजपा और अन्य दलों के साथ-साथ सियासी गलियारों में भी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर सवाल खड़े होने लगे हैं। प्रदेश भाजपा जहां एक बार फिर इस मामले को लेकर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी से मुलाकात की तैयारी में है तो गहलोत खेमा फिलहाल इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। गहलोत खेमे से जुड़े नेताओं का कहना है कि कांग्रेस विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा स्पीकर जोशी को सौंप रखे हैं। अब इस पर फैसला स्पीकर सीपी जोशी को लेना है कि इस्तीफे स्वीकार किया जाएं या फिर नहीं।
गहलोत गुट के 92 विधायकों की ओर से स्पीकर जोशी को सौंपे गए इस्तीफों को दबाव की राजनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। कांग्रेस हलकों में चर्चा इस बात की है कि गहलोत गुट की ओर से कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के जरिए पार्टी आलाकमान पर भी इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि अगर पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई फैसला लेती है तो राजस्थान में सरकार गिरने की नौबत आ सकती है। यही वजह है कि पार्टी आलाकमान की ओर से इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखे जा रहे हैं और बेहद संयमित बयान देकर डैमेज कंट्रोल का प्रयास भी किया जा रहा है।
वहीं भाजपा कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर अभी तक विधानसभा स्पीकर की ओर से कोई फैसला नहीं लेने पर लगातार सवाल खड़े कर रही है। पूर्व में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने स्पीकर सीपी जोशी से मुलाकात कर जल्द से जल्द कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने का आग्रह किया था। भाजपा नेताओं का कहना है कि विधानसभा स्पीकर को कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेना चाहिए। इस्तीफे स्वीकार किए जाएं या नहीं किए जाएं। क्योंकि नियम प्रक्रियाओं के तहत कांग्रेस विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा स्पीकर को सौंपे हैं। उनमें कई मंत्री भी शामिल हैं। ऐसे में गहलोत सरकार अल्पमत में है। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने एक बार फिर इस मामले को लेकर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी से मुलाकात की थी।
उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को प्रदेश प्रभारी अजय माकन और तत्कालीन पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे ने जयपुर आकर विधायक दल की बैठक रायशुमारी के लिए बुलाई थी, लेकिन गहलोत गुट के 92 विधायकों ने समानांतर बैठक बुलाकर पार्टी की आधिकारिक बैठक का बहिष्कार किया था। उसके बाद गहलोत गुट के 92 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर जाकर अपने इस्तीफे सौंप दिए थे।
