चीन को छोड़कर पूरी दुनिया में कोरोना महामारी ढलान पर है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव पर हो रहे तमाम शोधों के नतीजे अब सामने आने लगे हैं। एक ताजे अध्ययन में बताया गया है कि मरीजों में कई तरह के लक्षण कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद नज़र आए। सबसे ज्यादा असर मरीज के फेफड़ों पर देखा गया है।
हाल ही में अमरीका में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि कोरोना से पीड़ित मरीजों में से अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति वाले लगभग 11 प्रतिशत मरीजों के फेफड़े खराब हुए थे। उनमें घाव मिले थे। अध्ययन के अनुसार ये पूरी तरह ठीक न होने के साथ ही आगे चलकर और भी खराब हालत में पहुंच सकते हैं।
कोविड-19 मरीजों को लेकर किया गया ये अध्ययन अमेरिकन जरनल ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि कोविड मरीज जिनमें अलग-अलग स्थिति में बीमारी की गंभीरता पाई गई थी और उनमें फाइब्रोटिक लंग डेमेज पाया गया था, जिसे मध्य फेफड़ों की बीमारी भी कहा जाता है। ऐसे मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी देखरेख की काफी जरूरत है।
मध्य फेफड़ों की बीमारी में कई तरह की बीमारियां शामिल हैं, जिसे आम तौर पर फेफड़ों के घाव से जाना जाता है। इसमें आइडोपेथिक लंग फाइब्रोसिस भी है। फेफड़ों में घाव होने पर मरीजों को सांस लेने में काफी दिक्कत महसूस होती है और ब्लडस्ट्रीम से ऑक्सीजन ली जाती है।
माग्रेट टर्नर वारविक सेंटर फॉर फाइब्रोसिंग लंग डिजीज और नेशनल हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट, इंपीरियल कॉलेज लंदन के एडवांस रिसर्च फैलो (रायन फाउंडेशन) और करसपॉंडिंग ऑथर लाइन स्टीवर्ट कहते हैं कि हमने ये अनुमान लगाया है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले 11 प्रतिशत तक मरीजों में बीमारी से रिकवर होने के बाद फाइब्रोटिक पैटर्निंग मिली है। इसके साथ ही मरीजों में लंबे समय तक सांस लेने में दिक्कत और सांस फूलने जैसी समस्याएं देखी गई हैं। इस अध्ययन में शामिल लाइन स्टीवर्ट आगे कहते हैं कि एक बड़ी बात ये सामने आई है कि जो मरीज अस्पताल से निकले हैं, उनमें से कई मरीजों के फेफड़ों के रेशेदार ऊतकों में असामान्यता देखने को मिल सकती हैं। इस अध्ययन में शामिल मरीजों को मार्च 2021 में अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी और इनसे जुड़े अध्ययन का डेटा अक्टूबर 2021 तक लिया गया था। अब अध्ययन के अगले चरण की समीक्षा भी शुरू हो चुकी है और साल 2023 की शुरुआत में इसके नतीजे मिल सकते हैं।
