प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुर्जरों के आराध्य भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने भीलवाड़ा पहुंचे। मालासेरी डूंगरी में दर्शन के बाद मोदी ने गुर्जरों से कहा कि आपका और हमारा गहरा नाता है। भगवान देवनारायण का जन्म कमल पर हुआ है और हमारी तो पैदाइश ही कमल से है। उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि देवनारायण के जन्म का 1111वां वर्ष और भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली है। जी-20 के लोगो में दुनिया को कमल पर बैठाया है।
मोदी ने यहां एक बड़ी सभा को संबोधित किया। उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी देवनारायण मंदिर का कॉरिडोर बनाने की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने कोई घोषणा नहीं की।
अपने संबोधन में मोदी ने कहा- मुझे यज्ञशाला में पूर्णाहुति में देने का भी सौभाग्य मिला। मेरे लिए यह भी सौभाग्य का विषय है कि मुझे जैसे सामान्य व्यक्ति को आज आपके बीच आकर भगवान देवनारायण का और उनके भक्तों का आशीर्वाद प्राप्त करने का पुण्य मिला है।
मोदी ने कहा कि हम भारत के हजारों वर्षों पुराने अपने इतिहास, संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करते हैं। दुनिया की अनेक सभ्यताएं समय के समाप्त हो गईं। परिवर्तनों के साथ खुद को ढाल नहीं पाईं। भारत को भी भाैगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक रूप से तोड़ने के बहुत प्रयास हुए, लेकिन भारत को कोई ताकत समाप्त नहीं कर पाई। मोदी ने कहा कि भारत सिर्फ एक भू-भाग नहीं है, बल्कि हमारी श्रृद्धा की एक अभिव्यक्ति है। इसलिए वैभवशाली भविष्य की नींव भारत रख रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा, सबसे शक्ति हमारे समाज की है।
देश के 9 राज्यों में बसे गुर्जर समाज के लोग शुक्रवार रात से ही यहां पहुंचे। करीब 3 लाख लोगों के शामिल होने का दावा किया गया है। इस कार्यक्रम में राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और मध्यप्रदेश के लोग पहुंचे हैं।
मालासेरी डूंगरी आसींद उपखंड से 5 किलोमीटर दूर है। बताया जाता है कि 1111 साल पहले भगवान देवनारायण की माता साडू ने यहां पर तपस्या की थी। इससे खुश होकर भगवान विष्णु ने स्वयं संवत 968 माध माह की सप्तमी को जन्म दिया था। भगवान देवनारायण का जन्म मालासेरी डूंगरी की सबसे ऊपरी चोटी पर जमीन फटकर अंदर से निकले कमल के फूल की नाभि में हुआ था। इसीलिए यह मंदिर गुर्जर समाज का एकमात्र आस्था का स्थल है। राजस्थान के लोक देवता और गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता के इतर राजनीतिक रूप से भी यह कार्यक्रम भाजपा के लिए महत्वपूर्ण था। पार्टी ने इस कार्यक्रम के जरिये से गुर्जरों को साधने की कोशिश की। जिस आसींद विधानसभा में यह कार्यक्रम हुआ, यहां भी करीब 45 हजार गुर्जर वोटर हैं। इस विधानसभा में गुर्जर तीसरा सबसे शक्तिशाली वोट बैंक है। इसी तरह राजस्थान में करीब 75 विधानसभा सीटों पर गुर्जर अपना प्रभाव रखते हैं। इसके अलावा कई अन्य राज्यों में भी इस समाज का राजनीति प्रभाव है।
