छोटे रॉकेट एसएसएलवी की सफल लॉचिंग

आज शुक्रवार को भारत ने अंतरिक्ष में बड़ी उड़ान भरी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने सबसे छोटो रॉकेट एसएसएलवी-डी2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। एक्सपर्ट के अनुसार इस मिशन की सफलता से भारत को महंगी लॉन्चिंग से आजादी मिलेगी।

स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (एसएसएलवी-डी2) की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से हुई। इस मिशन को तीन पेलोड के साथ लॉन्च किया गया। एसएसएलवी-डी2 पृथ्वी की निचली कक्षा में 15 मिनट तक उड़ान भरेगा, जहां यह सैटेलाइट्स को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में तैनात करेगा। शुक्रवार सुबह 9.18 मिनट पर इस सेटेलाइट को सतीश धवन अंतरिक्ष संस्थान से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। एसएसएलवी-डी2 के साथ अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट ईओएस-07 भी अंतरिक्ष में भेजा गया। यह 156.3 किलोग्राम का है।

एसएसएलवी-डी2 की लॉन्चिंग के बारे में बताया गया कि इसका मकसद छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग को डेवलप करना है। अबतक पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) का इस्तेमाल लॉन्चिंग में बहुत ज्यादा किया जाता है। एसएसएलवी के चलते अब यह बड़े मिशन के लिए फ्री हो सकेगा। एसएसएलवी 10 से 500 किलोग्राम के ऑब्जेक्ट को 500 किलोमीटर दूर प्लैनर ऑर्बिट में ले जा सकता है।

एसएसएलवी-डी2 के साथ गए पेलोड में जानूस-1 शामिल है, जो एक टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेटर है। जानूस-1 अमरीका का सैटेलाइट है, जिसका वजन 10.2 किलोग्राम है। इसके अलावा आज़ादीसैट-2 एक स्मार्ट सैटेलाइट मिशन है, जो लोरा और रेडियो कम्युनिकेशन क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। इसे भारत के 75 स्कूलों की 750 गर्ल स्टूडेंट्स ने तैयार किया है।

पिछले साल एसएसएलवी की लॉन्चिंग फेल गई है। 9 अगस्त 2022 को एसएसएलवी लॉन्चिंग के प्रयास किए गए थे। लेकिन यह फेल हो गई थी। रॉकेट की लॉन्चिंग तो ठीक हुई थी, लेकिन बाद में रफ्तार और फिर रॉकेट के सेपरेशन के दौरान दिक्कत आई। इसके चलते तब एसएसएलवी की लॉन्चिंग को रद्द कर दिया गया था। शुक्रवार को इसकी सफल लॉन्चिंग हुई।

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