सीएम अशोक गहलोत ने पहली बार राइट-टू-हेल्थ बिल के विरोध पर चुप्पी तोड़ते हुए बड़े अस्पतालों को लेकर निशाना साधा है। निजी अस्पतालों की ओर से किए जा रहे विरोध पर उन्होंने कहा- बड़े अस्पताल इस बिल को लेकर नखरे कर रहे हैं। उनको ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह पैसा कमाते हैं, जबकि ये सेवा का काम है।
गहलोत ने सोमवार को पाली रोड स्थित व्यास मेडिसिटी के लोकार्पण समारोह में कहा, आपको मालूम होना चाहिए कि संविधान के अंदर भी शिक्षा और स्वास्थ्य को कमाई के लिए नहीं, बल्कि सेवा की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए अस्पताल संचालन के लिए ट्रस्ट बनाना पड़ता है, सोसाइटी बनानी होती है। पैसा कमाओ तो उसी में लगाओ। वो अलग बात है कि कुछ लोग पैसे का अलग जगह उपयोग करते होंगे। लेकिन, भावना ये होनी चाहिए। सरकार की सेवा भावना को देखते हुए उन्हें आगे आना चाहिए और सरकार का सहयोग करना चाहिए।
सीएम बोले- हमने उनको कहा कि राजस्थान में पंजाब, मप्र, गुजरात कहीं का भी कोई दुर्घटना में घायल व्यक्ति में निजी अस्पताल में इलाज के लिए आए तो उसका तुरंत इलाज शुरू होना चाहिए। इसका पैसा हम आपको देंगे। आपको 48 घंटे उसे वहां रखना है और फिर हम उसे शिफ्ट करवा देंगे। राजस्थान की धरती पर कोई भी व्यक्ति बीमार पड़े, उसका इलाज होना चाहिए। हमारे प्रदेश, मारवाड़ की परंपरा है, संस्कृति है। यहां से एक संदेश पूरे देश में जाना चाहिए कि राजस्थान वह धरती है, जहां हर व्यक्ति की सेवा की जाती है।
बताते चलें कि राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में कुछ दिनों से प्रदेश के करीब 1500 निजी अस्पतालों ने चिरंजीवी और आरजीएचएस के तहत सेवा देने से मना कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में वर्तमान में करीब 2 हजार निजी अस्पताल संचालित हैं। इनमें 75 फीसदी अस्पताल ऐसे हैं, जो आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना के तहत सेवा देते हैं। आरजीएचएस के तहत अभी निजी अस्पतालों में 150 से 250 रुपए में ओपीडी शुल्क लिया जाता है।
प्रदेश में करीब 1 करोड़ 37 लाख 82 हजार 951 परिवार चिरंजीवी में पंजीकृत हैं। 29 लाख 48 हजार 207 लाख लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। इसके तहत प्रत्येक परिवार के लिए 10 लाख के कैशलेस बीमा की सुविधा है। इसे सरकार ने हाल ही में बढ़ाकर 25 लाख कर दिया है। वहीं, आरजीएचएस में प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को फायदा दिया जाता है। इसमें 8 लाख से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हैं।
