राजस्थान में राइट टू हैल्थ बिल को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों का चल रहा आंदोलन आज स्थगित हो गया। इसी के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल में आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना के तहत ओपीडी और आईपीडी में मरीजों का इलाज होने लगा। हॉस्पिटल संचालकों की ओर से बनाई स्टेट ज्वाइंट कमेटी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद अपना आन्दोलन स्थगित करने का फैसला किया। कमेटी के चेयरमैन डॉ. सुनील चुघ ने बताया कि बिल पर अपनी बात रखने को लेकर हमारी मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई, जहां उन्होंने हमारी बातों को सुना और उन्होंने आश्वासन दिया कि डॉक्टरों और हॉस्पिटल संचालकों के हितों का बिल में पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने मुख्य सचिव को भी बिल में डॉक्टरों के सुझाव और संशोधनों को लागू करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के इस आश्वासन के बाद देर रात ज्वाइंट कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से बिल के विरोध में शुरू किए आंदोलन को 10 मार्च तक स्थगित करने का निर्णय किया। डॉ. चुघ ने बताया कि आज से सभी हॉस्पिटल में सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाने लगा। आरजीएचएस और चिरंजीवी बीमा से कवर मरीजों को इलाज की सुविधा भी दी जाएगी।
11 फरवरी को इस बिल के विरोध में जयपुर समेत प्रदेश के कई शहरों में प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों और डॉक्टरों ने विरोध किया था। इसके बाद स्टेट ज्वाइंट कमेटी ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ प्राइवेट हॉस्पिटल में देने से मना कर दिया था। इसमें मुख्यत: आरजीएचएस और चिंरजीवी योजना शामिल है।
आंदोलन स्थगित होने से सबसे बड़ा फायदा सरकारी कर्मचारियों को होगा। सरकार की ओर से इन कर्मचारियों और उनके आश्रितों को कैशलेस मेडिक्लेम आरजीएचएस के माध्यम से दे रखा है। आरजीएचएस योजना से अटैच निजी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को 150 से 250 रुपए में ओपीडी में डॉक्टर्स को दिखाने का फायदा होता है। इसके अलावा जांचे और दवाईयां भी आरजीएचएस के जरिए मुफ्त मिलती है।
सरकार ने राज्य के नागरिकों को कैशलेस मेडिकल बीमा देने के लिए चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू कर रखी है। इस बीमा में कवर परिवार को राज्य के सरकारी अस्पताल के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी कैशलेस बीमा का फायदा मिलता है।
