चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर भारतीय नव संवत्सर—2080 का आज आगाज हुआ। वहीं ब्रह्म योग व शुक्ल योग के साथ बुधवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में बसंत नवरात्र शुरू हुए। घर—घर और मंदिरों में घट स्थापना हुई। इसके साथ ही रामचरित मानस व दुर्गा शप्तशती के पाठ शुरू हुए। जयपुर के प्रसिद्ध आमेर शिला माता मंदिर में घट स्थापना हुई। यहां अलसुबह से ही माता के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। इसके अलावा शहर में आमेर मनसा माता, दुर्गापुरा के दुर्गामाता मंदिर, पुरानी बस्ती के रूद्र घंटेश्वरी, झालाना डूंगरी स्थित कालक्या माता मंदिर में भी घट स्थापना के साथ दुर्गा सप्तशती के पाठ शुरू हुए। वहीं राम मंदिरों में वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस के पाठ शुरू हुए।
जयपुर के ही श्री खोले के हनुमान मंदिर में घट स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र उत्सव प्रारंभ हुए। इससे पहले सुबह मुरली मनोहरजी मंदिर, बदनपुरा से खोले के हनुमान मंदिर तक कलश यात्रा निकाली गई। श्री नरवर आश्रम सेवा समिति के महामंत्री बृजमोहन शर्मा ने बताया कि मंत्रोच्चारण के साथ घट स्थापना व वाल्मीकि रामायण के अखण्ड पारायण शुरू हुए। शहर की कनक घाटी स्थित मंदिर श्री देवी मनसा माता में भी नवरात्र महोत्सव शुरू हुआ। गोविंद देवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में नवरात्रा स्थापना के बाद चंडी पाठ, श्रृंगार, भोग आरती, पुष्पांजलि आदि कार्यक्रम शुरू हुए।
उधऱ, सीकर जिले में राजस्थान की लोक देवी औऱ शेखावाटी की कुलदेवी जीणमाता का लक्खी मेला आज से शुरू हो गया। अलग-अलग राज्यों से भक्त मां के दर्शन करने पहुंचे हैं। आज चांदी के वर्क की विशेष पोशाक पहनाकर मां का श्रृंगार किया गया। मुंबई के सिंदूर से मां का तिलक किया गया। इस बार भक्त मां को शराब और पशु बलि नहीं चढ़ा सकेंगे। जीणमाता धाम में नौ दिन तक मेला लगेगा। नवरात्रा के पहले दिन भक्त वाहन और पैदल चलकर पहुंचे। जीणमाता सेवा संघ की ओर से माता को 121 मीटर लंबी चुनरी पहनाई गई।
