विदेशी लेन-देन भारतीय मुद्रा में करने की तैयारी

सरकार ने 2023 के लिए नई विदेश व्यापार नीति का ऐलान कर दिया है। सरकार अब सभी विदेशी लेन-देन को भारतीय मुद्रा में करने की तैयारी में है। नई नीति से भारत का निर्यात 700 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगा।

निर्यात को बढ़ावा देने और भारत को दुनिया की फैक्‍ट्री बनाने का लक्ष्‍य लेकर सरकार ने 1 अप्रैल, 2023 से नई विदेश व्‍यापार नीति (एफटीपी) लागू की है। केंद्रीय वाणिज्‍य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को नई नीति की विशेषाताओं और इसके लक्ष्‍य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नई विदेश व्‍यापार नीति का मकसद कारोबार को इंसेटिव (प्रोत्‍साहन) वाली रिजीम से हटाकर छूट और पात्रता आधारित रिजीम पर शिफ्ट करना है। हमारा लक्ष्‍य साल 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर (20 खरब डॉलर -करीब 162 लाख करोड़ रुपये) का निर्यात लक्ष्‍य प्राप्‍त करना है।

गोयल ने कहा कि नई नीति के तहत रुपये को ग्‍लोबल ट्रेड में मंजूरी दिलाने का लक्ष्‍य भी शामिल किया गया है। हमारा मकसद भारतीय मुद्रा को बॉस बनाना है। कोरोनाकाल की वजह से नई विदेश व्‍यापार नीति को लागू करने में 3 साल की देरी हुई है। इसे 15 साल के लिए बनाया गया है, लेकिन बीच-बीच में इसकी समीक्षा भी की जाएगी और जरूरी सुधार लागू होंगे।

इस मौके पर मौजूद मौजूद विदेश व्‍यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष सारंगी ने बताया कि एफटीपी 2023 की कोई डेडलाइन नहीं बनाई गई है, लेकिन फिलहाल इसे 5 साल के लिए लागू किया जाएगा और हर 5 साल पर इसकी समीक्षा की जाएगी। इस दौरान जरूरत के हिसाब से इसे अपडेट भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत पहली बार 770 अरब डॉलर के निर्यात आंकड़े को पार कर सकता है। अनुमान है कि चालू वित्‍तवर्ष में हमारा कुल निर्यात 760-770 अरब डॉलर होगा। वित्‍तवर्ष 2021-22 में देश का कुल निर्यात 676 अरब डॉलर रहा था। साल 2030 तक ई-कॉमर्स एक्‍सपोर्ट बढ़कर 200 से 300 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। कुरियर सर्विस के जरिये निर्यात का औसत 5 लाख से बढ़कर 10 लाख रुपये पहुंच चुका है।

सरकार ने नई व्‍यापार नीति में हर जिले में निर्यात हब बनाने का लक्ष्‍य रखा है। इसका छोटे मझोले उद्योगों को फायदा मिलेगा। उनके उत्‍पादों को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) की कोशिशें लगातार जारी हैं। इसका फायदा भी छोटे उद्यमों को ज्‍यादा मिलेगा। इसके अलावा छोटे मझोले उद्योगों के लिए निर्यात एप्‍लीकेशन की फीस भी 50 से 60 फीसदी तक घटाई गई है। अभी तक उद्योगों को इंसेटिव दिया जाता था, लेकिन नई नीति में पहले ही छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

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