राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपने सिलेबस से महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और फिराक गोरखपुरी की रचनाओं को भी हटा दिया है। सिलेबस में किए गए बदलाव बाद मुगल साम्राज्य से जुड़े कुछ अध्याय अब सीबीएसई तथा यूपी बोर्ड के 12वीं कक्षा के छात्रों के इतिहास के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे। मुगल इतिहास के साथ-साथ नागरिक शास्त्र का सिलेबस भी बदला गया है। एनसीईआरटी के आला अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी किताबों में इतिहास के कुछ पाठ बदले और हटाए गए हैं।
एनसीईआरटी ने शैक्षिक सत्र 2023-24 से इंटरमीडिएट में चलने वाली ‘आरोह भाग दो’ में कई परिवर्तन किए हैं। इसमें फिराक गोरखपुरी की गजल और ‘अंतरा भाग दो’ से सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की रचना ‘गीत गाने दो मुझे’ छात्र नहीं पढ़ सकेंगे। विष्णु खरे की ‘एक काम और सत्य’ को भी एनसीईआरटी ने ‘अंतरा भाग दो’ से हटा दिया है। ‘विद्यार्थी आरोह भाग दो’ में ‘चार्ली चैपलिन यानी हम सब’ को भी छात्र इस सत्र में नहीं पढ़ सकेंगे।
नागरिक शास्त्र की पुस्तक से समकालीन विश्व राजनीति से विश्व में अमेरिका वर्चस्व और शीतयुद्ध को हटा दिया गया है। स्वतंत्र भारत में राजनीति की किताब से ‘जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर’ पाठों को हटाया गया है। इनमें कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, सोशलिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय जनसंघ आदि को पढ़ाया जाता था। नया सिलेबस इसी साल से लागू किया जाने वाला है।
इस संबंध में एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद का कहना है कि हमने एक प्रक्रिया के तहत सिलेबस में ये बदलाव किए हैं। इसके लिए पिछले साल एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई थी, उसकी सलाह पर कुछ चैप्टर्स हटाए गए हैं। कोविड में पाठ्यक्रम ज़्यादा था तो वो कम करना था। कुछ चैप्टर्स ओवरलेप हो रहे थे, तो उन्हें हटा दिया गया है। ये बदलाव एक अकादमिक प्रक्रिया के तहत किया गया है। आप इतिहास की बात करते हैं, हमने हर विषय का सिलेबस कम किया है।
