प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों आरोपियों की आपराधिक पृष्ठभूमि है। ये तीनों यूपी के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं। अतीक हत्याकांड में शामिल सनी हमीरपुर, अरुण उर्फ कालिया कासगंज और लवलेश तिवारी बांदा जिले का रहने वाला है।
सनी सिंह हमीरपुर जिले के कुरारा कस्बे का रहने वाला है। वो कुरारा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281ए है। उसके खिलाफ करीब 15 केस दर्ज हैं। उसके भाई पिंटू ने बताया कि वो बीते 10 साल से अपने घर नहीं आया है। सनी के पिता जगत सिंह और मां की मौत हो चुकी है।
सनी के तीन भाई थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और दूसरा भाई पिंटू घर पर रहकर चाय की दुकान चलाता है। भाई ने बताया कि ये ऐसे ही घूमता-फिरता रहता था और फालतू के काम करता रहता था। हम उससे अलग रहते हैं, वो बचपन में ही घर से भाग गया था।
कासगंज का अरुण उर्फ कालिया सोरों थाना क्षेत्र के बघेला पुख्ता का रहने वाला है। अरुण के पिता का नाम हीरालाल बताया जा रहा है। वो छह साल से बाहर रह रहा था। उसके माता-पिता की मौत करीब 15 पहले हो चुकी है। अरुण ने जीआरपी थाने में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से ही वो फरार है। अरुण के दो छोटे भाई भी हैं, जिनके नाम धर्मेंद्र और आकाश हैं। दोनों भाई फरीदाबाद में रहकर कबाड़ का काम करते हैं।
बांदा का लवलेश तिवारी शहर कोतवाली के क्योतरा इलाके का रहने वाला है। उसके पिता ने कहा कि हमसे उसका कोई मतलब नहीं था। वह कभी-कभी ही घर आता-जाता था। 5-6 दिन पहले ही बांदा आया था। लवलेश इससे पहले एक मामले में जेल भी जा चुका है। लवलेश के खिलाफ चार पुलिस केस हैं। इनमें पहले मामले में उसे एक महीने की सजा हुई थी। दूसरा मामला लड़की को थप्पड़ मारने का था, उसमें डेढ़ साल की जेल हुई थी। तीसरा मामला शराब से जुड़ा हुआ था, इसके अलावा एक और मामला है।
अतीक के इन हत्यारों से पूछताछ में पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। हत्यारों ने प्रयागराज में रुकने के लिए होटल में कमरा लिया था। उन्होंने 48 घंटों से होटल में अपना ठिकाना बनाया हुआ था। जिस होटल में वो रुके थे, वहां पुलिस अब छानबीन कर रही है। एक हत्यारा वारदात को अंजाम देने के दौरान हैंगिंग बैग लेकर आया था। हत्यारों का सामान अब भी होटल में होने की संभावना है।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे अतीक और अशरफ गैंग का सफाया कर प्रदेश में अपना नाम करना चाहते थे, ताकि भविष्य में लाभ हो। हम लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करके भाग नहीं पाए। पुलिस की तेज कार्रवाई से हमलोग पकड़े गए। हम दोनों मीडियापर्सन बनकर दोनों को मारने की फिराक में दो-तीन दिन से थे, लेकिन सही समय और मौका नहीं मिल पाया। आज मौका मिला तो हमने घटना को अंजाम दे दिया।
