इस साल दो श्रावण हैं। पहले श्रावण अच्छी बारिश होगी। बाकी महीनों की कम बारिश की संभावना है। यह भविष्यवाणी बाड़मेर के अनाज व्यापारियों की शगुन देखने की अनूठी परंपरा के तहत की गई। व्यापारी कुल्लड़ के जरिये शगुन देखते हैं।
राजस्थान के बाड़मेर जिला अनाज व्यापार संघ की वर्षो से चली आ रही शगुन देखने की यह परम्परा आज भी कायम है। आखातीज पर देख जाने वाले शगुन से व्यापार संघ तय करता है कि इस बार व्यापार कैसा होगा। बारिश होगी तो किस महीने में होगी। अनाज के भाव क्या होंगे?
अनाज व्यापार संघ के अध्यक्ष हंसराज कोटडिय़ा ने बताया कि परम्परा के अनुसार मिट्टी के कुल्लड बनाए जाते है, जिसमें पानी भरा जाता है। फिर कागज की पर्चियों पर बारिश के महीनों के नाम लिखे जाते हैं। जिस पर्ची का कुल्लड पहले टूट जाता है, उस महीने में बारिश अच्छी होती है। यदि किसी पर्ची का कुल्लड सूख जाता है और टूटता नहीं है, तो उस महीने में बारिश नहीं होगी। इसी प्रकार अनाज के भाव देखने के लिए अलग-अलग अनाज की ढूली बनाई जाती है और उन पर गुड की टूकडी रखी जाती है। जिस अनाज पर मख्खी पहले आकर बैठती है उसके भाव तय होते हैं।
इस बार बाजरा 2700, मूँग 6000, मोठ 5000, तिल 12000, गवार 8000, मतीरा 8000 प्रति क्विंटल के भावों के सुगन आए है। शुगन का कार्यक्रम पूरा होने पर खरबूजे, मेवे और ठंडाई की मनुहार की गई।
