राजस्थान औऱ केंद्र सरकार के आश्वासनों के बीच 16 करोड़ के इंजेक्शन का इंतज़ार करते-करते दो वर्षीय बालक तनिष्क की सांसें आखिर थम गईं। नागौर के एक परिवार का इकलौता तनिष्क स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी टाइप – 2 की दुर्लभ बीमारी से ग्रसित था। उसके इलाज के लिए परिजन दर-दर भटके। अधिकारियों से लेकर नेताओं तक और राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक मामला पहुंचा, लेकिन बच्चे का जीवन बचाने की तमाम कवायदें बेकार गईं। सोमवार सुबह वह ज़िन्दगी से जंग हार गया।
दुर्लभ बीमारी से ग्रसित तनिष्क का जीवन बचाने के लिए 16 करोड़ कीमत के इंजेक्शन का इंतज़ाम करने के लिए नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर पीड़ित परिवार की मदद करने की अपील की थी। स्वास्थ्य मंत्री ने उचित कार्यवाही करने का भरोसा दिया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ औऱ तनिष्क चल बसा।
दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी से ग्रसित बच्चों के शरीर में पानी की कमी होती है, वो सही तरह से स्तनपान नहीं कर पाते। शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। तनिष्क की ही तरह ऐसे करीब आधा दर्जन से अधिक मासूम बच्चे हैं जो इस दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हैं। इन सभी को जीवन बचाने के लिए एक ऐसे इंजेक्शन की आवश्यकता है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है।
तनिष्क के ज़िन्दगी से जंग हारने की खबर मिलते ही गांव नड़वा में मातम छा गया। इस बच्चे के स्वस्थ होने की कामना पूरा गांव कर रहा था। तनिष्क के पिता शैतान सिंह ने जनवरी में हाईकोर्ट में रेयर डिजीज पीड़ितों के परिजनों के साथ याचिका लगायी थी। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राजस्थान सरकार को आदेश दिया था कि इन सभी दुर्लभ बीमारी से पीड़ितों का इलाज व दवाइयों की व्यवस्था करवाई जाए।
