चीन में गरीबी छिपाने के सरकारी हथकंडे

चीन में गरीबी दिखाने वाले वीडियोज को ऑनलाइन प्लेटफार्म्स से डिलीट किया जा रहा है। क्योंकि चीनी सरकार देश में गरीबी नहीं दिखाना चाहती है। यह दावा अमरीका के अखबार- द न्यूयॉर्क टाइम्स ने किया है। हाल ही में एक सेवानिवृत्त व्यक्ति का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिखाया गया कि वह 100 युआन या 14.50 अमरीकी डॉलर से किराने का क्या सामान खरीद सकती है, जब उसकी आय का एकमात्र स्रोत मासिक पेंशन है। इस वीडियो को चीनी अधिकारियों ने ऑनलाइन प्लेटफार्म से हटा दिया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक गायक ने युवा व शिक्षित चीनी लोगों के गंभीर वित्तीय संकट और निराशाजनक नौकरी की संभावनाओं जैसे मुद्दे पर एक गाना गाया- मैं चीन को फिर से जीवंत करने में मदद करने के लिए कॉलेज गया था, भोजन देने के लिए नहीं। इस तरह कुछ बोल थे। इस गाने के वायरल होने के बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उस गायक के सोशल मीडिया खातों को निलंबित कर दिया गया। 

पिछले साल, अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले एक प्रवासी श्रमिक को कोविड-19 के समय व्यापक सहानुभूति मिली थी। उसे चीन में सबसे मेहनती व्यक्ति के रूप में जाना जाने लगा था। सेंसर ने उसके बारे में प्रचार को रोक दिया और पत्रकारों को उसकी पत्नी से मिलने से रोकने के लिए स्थानीय अधिकारियों को उसके घर के बाहर तैनात कर दिया। 

चीन कहता आया है कि वह एक समाजवादी देश है, जिसका उद्देश्य आम समृद्धि को बढ़ावा देना है। 2021 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने “गरीबी के खिलाफ लड़ाई में व्यापक जीत” की घोषणा की थी। फिर भी यहां बहुत से लोग गरीब हैं या गरीबी रेखा के ठीक ऊपर रहते हैं। चीन की आर्थिक संभावनाओं के कम होने और लोगों की अपने भविष्य के बारे में बढ़ती चिंता के साथ, गरीबी एक वर्जित विषय बन गया है, जो सरकार की नाराजगी झेल सकता है।

चीन के साइबरस्पेस प्रशासन ने मार्च में घोषणा की थी कि वह ऐसे किसी भी व्यक्ति पर कार्रवाई करेगा, जो ऐसे वीडियो या पोस्ट प्रकाशित करता है, जो “जानबूझकर उदासी का मैसेज देता है और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली हानिकारक जानकारी बनाता है। चीन में बूढ़े लोगों, विकलांग लोगों और बच्चों के उदास वीडियो बनाकर प्रचारित करना प्रतिबंधित है।

अखबार के अनुसार प्रतिबंध के पीछे सरकार है, जो चीन के बारे में सभी बातों को सकारात्मक रखने के लिए उत्सुक है। कम्युनिस्ट पार्टी इस बात की शेखी बघारती है कि उसने पिछले चार दशकों में कितने लोगों को गरीबी से बाहर निकाला, जबकि उसने यह उल्लेख करने से इंकार कर दिया कि कैसे उसने माओत्से तुंग के शासनकाल में पूरे देश को घोर गरीबी में धकेल दिया।

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