राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को आखिर उस रहस्य से परदा हटा दिया, जिसे लेकर काफी समय से कयास लग रहे थे। इसी के साथ उन्होंने विरोधी सचिन पायलट के सवाल का जवाब भी दे दिया कि वो वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचारों की जांच क्यों नहीं करवा रहे हैं। अपने खुलासे से उन्होंने भाजपा के तीन नेताओं के सियासी भविष्य को भी दांव पर लगा दिया।
गहलोत ने आज धौलपुर जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए इस बात का खुलासा कर दिया कि उनकी सरकार कैसे और किसकी वजह से बची थी। उन्होने बहुत ही साफ लफ्जों में बताया कि किस तरह से उनकी सरकार गिराने की साजिश रची गई थी। सरकार को बचाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और विधायक शोभारानी ने उनका कैसे साथ दिया था।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि विधायक शोभारानी ने जब बहुत साहस के साथ हमारा साथ दिया। इससे भाजपा वालों की तो हवा ही उड़ गई थी। शोभा रानी के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने भी हमारा साथ दिया था। इन्हें मालूम था कि हमारी सरकार गिराने की साजिश हो रही है। हालांकि कुछ दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक सभा में कहा था कि दूध और नींबू एक साथ नहीं रहते हैं।
गहलोत ने एक और राजनीतिक खुलासा करते हुए कहा कि जब वह प्रदेश कांगेस कमेटी के अध्यक्ष थे, उस समय प्रदेश की मौजूदा भैरो सिंह शेखावत की सरकार को भी उनकी सरकार की तरह ही पैसे के दम पर गिराने की साजिश भाजपाईयों ने ही की थी। उनके पास भी लोग आए थे और इसी तरह से पैसा बांटा गया था। जिस तरह से मेरी सरकार गिराने के लिए जुलाई 2020 में पैसा बांटा गया था। तब पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। करीब महीने भर तक अशोक गहलोत सरकार गिरने का संकट मंडराया था।
गहलोत ने कहा कि उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शेखावत की स्थित गंभीर थी। वह अमरीका में अपना आपरेशन करा रहे थे। एक के बाद एक लगातार तीन आपरेशन हो चुके थे, लेकिन यहां उनकी पार्टी के ही लोग चुनी हुई सरकार को गिराने में लगे थे। उस समय अगर मैं चाहता तो उनके साथ शामिल होकर सरकार गिर सकती थी, लेकिन मैने उनका साथ नहीं दिया। षडयंत्र में शामिल लोगों से मैने कहा—भले आदमियों तुम्हारा नेता भैरो सिंह शेखावत मुख्यमंत्री है, मैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष हूं। वो बीमार है, अमेरिका के अंदर गया हुआ है और तुम पीछे से षडयंत्र करके सरकार गिरा रहे हो। मैं तुम्हारा साथ नहीं दूंगा।
मुख्यमंत्री ने साफ-साफ कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने स्पष्ट कह दिया था कि यह हमारे यहां की कभी परंपरा नहीं रही है कि पैसे के बल पर चुनी हुई सरकार गिरा दी जाए। ये कहा तो उन्होंने क्या गलत कह दिया। ऐसा कहकर उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। उनकी बात शोभारानी ने सुनी। इनकी अंर्तआत्मा ने कहा कि मुझे भी ऐसे लोगों का साथ नहीं देना चाहिए। क्या गलत किया शोभारानी ने और इसलिए आज मेरी सरकार बची है।
इसी के साथ गहलोत ने पायलट के गुट से बाहर आ गए तीन कांग्रेस विधायकों रोहित बोहरा, चेतन डूडी और दानिश अबरार की तारीफ इन्हें पटाए रखने की कोशिश भी की। उन्होंने कहा, सरकार में मंत्री बनने के असली हकदार ये लोग थे, लेकिन वह उन्हें मंत्री के रूप में नियुक्त नहीं कर सके। क्योंकि उसके कुछ राजनीतिक कारण थे और वह इसके लिए दुखी महसूस कर रहे हैं।
सीएम गहलोत के इस राजनीतिक धमाके ने भाजपा में वसुंधरा औऱ मेधवाल जैसे वरिष्ठ नेताओँ के भविष्य को भी दांव लगा दिया है। वसुंधरा तो आगामी विधानसभा चुनाव में एकबार फिर मुख्यमंत्री पद की मजबूत दावेदार बनने की कोशिश कर रही हैं। वहीं, मेघवाल करीब 90 की उम्र में फिर विधायक बनने का ख्वाब देख रहे हैं। मगर गहलोत के आज के खुलासे से इन दोनों नेताओं की अपनी पार्टी के अंदर स्थिति कमजोर पड़ गई है। क्योंकि इन दोनों ने गहलोत का साथ देकर एक प्रकार से भाजपा आलाकमान के सरकार गिराने के अभियान की खिलाफत की। इसे पार्टी के आला नेता भला कैसे पचा पाएंगे।
